नई दिल्ली: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के बाद प्रोविजनल उत्तर कुंजी (Provisional Answer Key) जारी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे के जरिए सामने आया है, जिसे सिविल सेवा अभ्यर्थियों की लंबे समय से चली आ रही मांग की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
यूपीएससी ने कोर्ट को बताया कि प्रारंभिक परीक्षा के बाद प्रोविजनल उत्तर कुंजी जारी की जाएगी, जिस पर अभ्यर्थी आपत्तियां या सुझाव दे सकेंगे। इन आपत्तियों पर विशेषज्ञों की टीम विचार करेगी और उसके आधार पर अंतिम उत्तर कुंजी तैयार की जाएगी। इसके बाद ही प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया जाएगा।
हलफनामे में आयोग ने कहा,
“याचिका लंबित रहने के दौरान, आयोग ने विभिन्न पहलुओं पर विचार किया, जिसमें माननीय न्यायालय द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता और एमिकस क्यूरी जयदीप गुप्ता व उनके सहयोगी अधिवक्ता प्रांजल किशोर के सुझाव भी शामिल थे। व्यापक विचार-विमर्श के बाद आयोग ने यह निर्णय लिया है कि:
- प्रारंभिक परीक्षा के बाद प्रोविजनल उत्तर कुंजी प्रकाशित की जाएगी
- अभ्यर्थियों से आपत्तियां मांगी जाएंगी, जिनके समर्थन में तीन प्रमाणिक स्रोतों का उल्लेख आवश्यक होगा
- इन आपत्तियों पर विषय विशेषज्ञों की समिति विचार करेगी
- अंतिम उत्तर कुंजी के आधार पर ही परिणाम घोषित किया जाएगा
- अंतिम उत्तर कुंजी केवल अंतिम परिणाम के बाद ही सार्वजनिक की जाएगी”
इससे पहले मई 2025 में UPSC ने प्रोविजनल उत्तर कुंजी जारी करने के विचार का विरोध किया था और इसे “उल्टा असर डालने वाला” बताया था, जिससे परीक्षा प्रक्रिया में देरी हो सकती थी। हालांकि, अब आयोग ने अपनी नीति में बदलाव किया है।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब में कहा कि UPSC के हलफनामे में इस वर्ष के उन अभ्यर्थियों के लिए कोई समाधान नहीं बताया गया है, जिन्हें उत्तर कुंजी नहीं दी गई थी।
इस बीच, UPSC के चेयरमैन अजय कुमार ने एक वर्चुअल टाउन हॉल में अभ्यर्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आयोग की “धोखाधड़ी और फर्जी प्रमाणपत्रों” के खिलाफ शून्य सहनशीलता की नीति है। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकारी नौकरी की परीक्षा में धोखाधड़ी करना स्वीकार्य नहीं है और यह उम्मीदवार के करियर को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकता है।
UPSC ने अपनी शताब्दी वर्ष की शुरुआत विभिन्न आयोजनों के साथ की है, जिसमें पहली बार एक वर्चुअल टाउन हॉल का आयोजन भी शामिल था। टाउन हॉल के दौरान चेयरमैन ने उम्मीदवारों से अपील की कि वे किसी भी तरह की धोखाधड़ी से दूर रहें और पारदर्शी व निष्पक्ष प्रक्रिया पर विश्वास रखें।
यह निर्णय पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में UPSC का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।