लंदन/नई दिल्ली: भागे हुए शराब कारोबारी विजय माल्या को एक और बड़ा झटका लगा है। ब्रिटेन की हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जारी दिवालियापन आदेश को बरकरार रखते हुए उनकी दोनों अपीलों को खारिज कर दिया है। कोर्ट का यह फैसला भारतीय बैंकों के एक कंसोर्टियम, जिसकी अगुवाई भारतीय स्टेट बैंक (SBI) कर रहा है, के पक्ष में गया है।
क्या है मामला?
मामला किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़ा है, जो विजय माल्या की ड्रीम कंपनी थी लेकिन भारी कर्ज के चलते 2012 में बंद हो गई। भारतीय बैंकों ने कर्ज वसूलने के लिए 2017 में लंदन की कोर्ट में DRT (Debt Recovery Tribunal) का फैसला रजिस्टर कराया था, जिसमें माल्या पर £1.12 बिलियन (करीब ₹9,000 करोड़) का बकाया बताया गया।इसके बाद सितंबर 2018 में बैंकों ने दिवालियापन याचिका दायर की, लेकिन माल्या ने इसे कई आधारों पर चुनौती दी।
कोर्ट की बड़ी टिप्पणी
2020 में लंदन के Insolvency & Companies Court (ICC) ने माना कि याचिका आंशिक रूप से दोषपूर्ण है क्योंकि बैंक माल्या की संपत्तियों पर सुरक्षा दावा रखते थे। लेकिन बैंकों ने यह कहते हुए याचिका संशोधित कर दी कि यदि माल्या को दिवालिया घोषित किया जाता है, तो वे सुरक्षा छोड़ने को तैयार हैं। माल्या ने इस संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि यह भारतीय कानून और पब्लिक पॉलिसी के खिलाफ है, लेकिन कोर्ट ने अप्रैल 2021 में इसे वैध ठहराया। और अब, 9 अप्रैल 2025 को जस्टिस एंथनी मैन ने सभी अपीलें खारिज करते हुए आदेश दिया कि “दिवालियापन ऑर्डर वैध है और बरकरार रहेगा।”
बैंक की लीगल टीम ने क्या कहा?
TLT LLP, जो कि भारतीय बैंकों की तरफ से केस लड़ रही थी, उनके लीगल डायरेक्टर निक कर्लिंग ने कहा, “यह बैंकों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है। हमने 2017 से यह केस लड़ा है और आखिरकार न्याय मिला है।”
लेकिन माल्या अब भी नहीं माना
माल्या के वकील लेह क्रेस्टोल (Zaiwalla & Co.) ने कहा, “जब भारत सरकार खुद कह रही है कि संपत्तियां जब्त करके वापस ली गईं, तो यह कहना कि वह वसूली ‘सशर्त’ थी, सरासर गलत है। हम इस आदेश के खिलाफ आगे कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।” माल्या पहले ही जुलाई 2021 में दिवालिया घोषित किए जा चुके हैं, और अब UK में आदेश रद्द करवाने की एक और कोशिश कर रहे हैं। अगली सुनवाई अक्टूबर 2025 में होने वाली है।