नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने बुधवार को बहुमत के साथ मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को मंजूरी दे दी।
JPC के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बताया कि 16 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में वोट दिया, जबकि 11 ने इसका विरोध किया। समिति ने सभी सांसदों को शाम 4 बजे तक अपना असहमति पत्र (डिसेंट नोट) जमा करने का समय दिया है।
विपक्ष ने जताई आपत्ति
हालांकि, विपक्षी दलों के कुछ सांसदों ने पहले ही असहमति पत्र जमा कर दिया है। उनका कहना है कि विधेयक पर पूरी तरह अध्ययन करने और असहमति दर्ज कराने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया।
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के लोकसभा सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि सभी विपक्षी सांसद असहमति पत्र दाखिल करेंगे। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार जगदंबिका पाल जल्द ही संशोधित विधेयक को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला के पास सौंप सकते हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान:
संशोधित वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 में कई बड़े बदलाव किए गए हैं, जिनका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन और समुदायों की भागीदारी बढ़ाना है। यहां इसके कुछ प्रमुख प्रावधान दिए गए हैं:
मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी: राज्य वक्फ बोर्ड (धारा 14) और केंद्रीय वक्फ परिषद (धारा 9) में दो मुस्लिम महिलाओं की सदस्यता अनिवार्य रहेगी, जिससे महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।
ओबीसी मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व: राज्य वक्फ बोर्ड में अब एक सदस्य मुस्लिम ओबीसी समुदाय से होगा, जिससे विविधता सुनिश्चित होगी।
अलग वक्फ बोर्ड की स्थापना: राज्य सरकारें अब आगाखानी और बोहरा समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बना सकती हैं (धारा 13)।
महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकार सुरक्षित: वक्फ अलाल औलाद (पारिवारिक वक्फ) में महिला वारिसों के अधिकारों की रक्षा होगी। वक्फदाता (वाकिफ) संपत्ति तभी समर्पित कर सकता है जब महिला उत्तराधिकारियों को उनका उचित हिस्सा मिल जाए (धारा 3A(2))।
वक्फ बाय यूजर की मान्यता: यदि किसी संपत्ति पर विवाद नहीं है या वह सरकारी संपत्ति नहीं है, तो उसे वक्फ के रूप में पंजीकृत किया जाएगा (धारा 3(r))।
समयबद्ध कानूनी समाधान: वक्फ से जुड़े मामलों में अनावश्यक देरी रोकने के लिए सीमितीकरण अधिनियम (Limitation Act) लागू होगा (धारा 107)।
ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली: वक्फ संपत्तियों के पूरे जीवनचक्र को डिजिटाइज़ करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता: राज्य वक्फ बोर्डों को छह महीने के भीतर सभी संपत्तियों का विवरण केंद्रीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा। वक्फ ट्रिब्यूनल विशेष मामलों में समय-सीमा बढ़ा सकता है।
सरकारी संपत्तियों की जांच: यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में दावा की जाती है, तो एक कलेक्टर रैंक से ऊपर का अधिकारी जांच करेगा। जब तक रिपोर्ट नहीं आती, ऐसी संपत्तियों को वक्फ नहीं माना जाएगा (धारा 3C)।
मुस्लिम ट्रस्टों को वक्फ अधिनियम से अलग किया जाएगा: जो ट्रस्ट वक्फ की तरह काम करते हैं लेकिन ट्रस्ट कानूनों के अंतर्गत आते हैं, उन्हें वक्फ अधिनियम, 1995 से बाहर रखा जाएगा (धारा 2A)।
वक्फ अलाल औलाद से होने वाली आय का सामाजिक उपयोग: वक्फदाता (वाकिफ) की इच्छा के अनुसार, इस आय का उपयोग विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों की सहायता के लिए किया जा सकता है (धारा 3(r)(iv))।
उच्च न्यायालय में अपील का अधिकार: अब वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को अंतिम नहीं माना जाएगा। कोई भी असंतुष्ट व्यक्ति 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में अपील कर सकता है।
ऑनलाइन पंजीकरण प्रमाण पत्र: वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण प्रमाण पत्र अब ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से जारी किए जाएंगे।
क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024?
यह विधेयक 8 अगस्त, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा लोकसभा में पेश किया गया था। विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को सौंपा गया था ताकि वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियमन से जुड़ी चुनौतियों को दूर किया जा सके।
आगे क्या होगा?
अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि विपक्ष के विरोध के बावजूद संशोधित विधेयक को संसद में कब पेश किया जाएगा। यदि इसे मंजूरी मिलती है, तो वक्फ अधिनियम में अब तक का सबसे बड़ा संशोधन हो सकता है। हालांकि, विपक्ष इसे अलोकतांत्रिक और जल्दबाजी में लिया गया फैसला बता रहा है, जिससे राजनीतिक टकराव और बढ़ सकता है।