‘उड़ान’ वाले बयान पर शशि थरूर और खड़गे में छिड़ी जंग, ‘उड़ान भरने के लिए इजाजत…’

'उड़ान' वाले बयान पर शशि थरूर और खड़गे में छिड़ी जंग, 'उड़ान भरने के लिए इजाजत...'
'उड़ान' वाले बयान पर शशि थरूर और खड़गे में छिड़ी जंग, 'उड़ान भरने के लिए इजाजत...'

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेता शशि थरूर के बीच जुबानी टकराव ने पार्टी के भीतर की विचारधारा और राष्ट्रीयता को लेकर मतभेदों को उजागर कर दिया है। बुधवार (25 जून) को मीडिया से बातचीत के दौरान खरगे ने एक तरफ जहां थरूर की अंग्रेज़ी भाषा पर हल्के-फुल्के अंदाज़ में कटाक्ष किया, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय एकता और ‘देश पहले’ की भावना को केंद्र में रखते हुए भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी पर अप्रत्यक्ष हमला भी बोला।

खरगे ने हँसते हुए कहा, “मैं अंग्रेज़ी नहीं पढ़ सकता, लेकिन उनकी भाषा बहुत अच्छी है। इसलिए हमने उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) में रखा है।” इस टिप्पणी पर जहां हंसी सुनाई दी, वहीं यह संकेत भी मिला कि पार्टी थरूर की वैश्विक संवाद क्षमता को भले मानती हो, लेकिन हालिया घटनाओं पर उनकी राय से पूरी तरह सहमत नहीं है।

थरूर का पीएम मोदी के लिए लेख

यह सारा विवाद शशि थरूर द्वारा लिखे गए एक लेख से शुरू हुआ जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के लिए उनकी सक्रिय भूमिका को ‘एक प्रमुख संपत्ति’ बताया। यह लेख ऐसे समय आया जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर माहौल संवेदनशील था। कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं ने थरूर की राय पर असहमति जताई और सवाल उठाया कि क्या यह विचार पार्टी की नीतियों के अनुरूप है।

कांग्रेस का स्पष्टीकरण: थरूर के निजी विचार

पार्टी की ओर से एक प्रवक्ता ने बयान जारी करते हुए साफ किया कि शशि थरूर की यह राय व्यक्तिगत हो सकती है, लेकिन यह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक मत नहीं है। प्रवक्ता ने कहा, “कांग्रेस हमेशा से सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति को तथ्यों और सबूतों के आधार पर चुनौती देती रही है।”

खड़गे का व्यंग्य और ‘देश पहले’ का संदेश

खरगे ने अपने भाषण में थरूर की अंग्रेज़ी कुशलता पर तंज कसते हुए कहा, “उनकी भाषा बहुत अच्छी है, इसीलिए उन्हें कांग्रेस कार्यसमिति में लिया गया है। मैं तो अंग्रेज़ी ठीक से पढ़ भी नहीं पाता।” इसके बाद खरगे ने गंभीर स्वर में कहा, “हमने हमेशा कहा है कि देश पहले, पार्टी बाद में। लेकिन कुछ लोग कहते हैं, ‘पहले मोदी, फिर देश’। हम क्या करें?” यह बयान स्पष्ट रूप से भाजपा और उसके नेतृत्व पर कटाक्ष था, जो हाल के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर विपक्ष को लेकर हमलावर रहा है।

थरूर का जवाब: “आसमान किसी का नहीं”

इस पूरे घटनाक्रम के बीच शशि थरूर ने सोशल मीडिया मंच X पर एक रहस्यमयी लेकिन प्रतीकात्मक संदेश पोस्ट किया – “उड़ान भरने की अनुमति मत मांगो। पंख तुम्हारे हैं। और आसमान किसी का नहीं होता…” इस पोस्ट को खरगे के कटाक्ष का अप्रत्यक्ष जवाब माना जा रहा है।

“बीजेपी में शामिल नहीं हो रहा”: थरूर की सफाई

मास्को में एक कार्यक्रम के दौरान थरूर ने स्पष्ट किया कि उनका बयान भाजपा के प्रति झुकाव नहीं था। उन्होंने कहा, “यह बयान राष्ट्रीय हित में था, न कि भाजपा में शामिल होने की ओर कोई कदम। जिम्मेदार नेतृत्व का मतलब है सच्चाई को स्वीकार करना, भले ही वह विरोधी खेमे से क्यों न हो।”

मतभेद या लोकतांत्रिक असहमति?

थरूर की हालिया टिप्पणी और पार्टी के भीतर उसे लेकर उठे विरोध ने कांग्रेस के भीतर इस सवाल को जन्म दे दिया है कि क्या यह विचारधारा का टकराव है या स्वस्थ लोकतांत्रिक विमर्श? जैसे-जैसे आगामी चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, कांग्रेस को यह तय करना होगा कि वह अपनी विविध विचारधाराओं को कैसे साधती है और किस सीमा तक स्वतंत्र राय को जगह देती है। यह घटनाक्रम यह दर्शाता है कि कांग्रेस के भीतर राष्ट्रीयता, विचारों की स्वतंत्रता और अनुशासन के बीच संतुलन बनाना आज की सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है।