रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर क्या दी जानकारी, पढ़ें पूरा भाषण का सार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर क्या दी जानकारी, पढ़ें पूरा भाषण का सार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर क्या दी जानकारी, पढ़ें पूरा भाषण का सार

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि S-400, आकाश मिसाइल सिस्टम और एयर डिफेंस गन्स ने पाकिस्तान के हमले को पूरी तरह नाकाम कर दिया।

राजनाथ सिंह ने कहा कि 10 मई को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई हवाई अड्डों पर सटीक और कड़ा हमला किया, जिसके बाद इस्लामाबाद ने हार स्वीकार की और शत्रुता समाप्ति का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव इस शर्त पर स्वीकार किया गया कि यह ऑपरेशन केवल रोक दिया गया है और यदि भविष्य में पाकिस्तान की तरफ से कोई गलत कदम उठाया गया तो ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा।

उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को पूरी तरह आत्मरक्षा बताया और कहा कि यह न तो उत्तेजक था और न ही विस्तारवादी। 10 मई 2025 की सुबह करीब 1:30 बजे पाकिस्तान ने मिसाइल, ड्रोन, रॉकेट और अन्य लंबी दूरी के हथियारों से बड़े पैमाने पर हमला किया था।

लोकसभा में चल रही बहस के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन को इसलिए रोका क्योंकि पूर्व निर्धारित राजनीतिक और सैन्य उद्देश्य पूरे हो चुके थे। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ऑपरेशन को किसी दबाव में नहीं रोका गया और यह बात पूरी तरह गलत और निराधार है।

उन्होंने बताया कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद भारतीय सशस्त्र बलों ने नौ आतंकवादी ढांचे को निशाना बनाया, जिनमें 100 से अधिक आतंकवादी, उनके प्रशिक्षक और हैंडलर मारे गए। इनमें ज्यादातर जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठन शामिल थे।

रक्षा मंत्री ने वीर जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश के लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दी है।

राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए भारत द्वारा किए गए कई प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2016 का सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 का बालाकोट एयर स्ट्राइक और 2025 का ऑपरेशन सिंदूर भारत की उस नीति का हिस्सा हैं, जिसमें शांति और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते। नरेंद्र मोदी सरकार की स्पष्ट नीति यही है कि बातचीत और आतंकवाद कभी साथ नहीं चल सकते।