नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की 14 लंबित रिपोर्ट्स पेश कीं, जिससे आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के पिछले कार्यकाल में हुए वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं पर नए सवाल खड़े हो गए हैं। रिपोर्ट्स पेश होते ही विधानसभा में भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते कई AAP विधायकों को सदन से निलंबित कर दिया गया।
किन मामलों पर हुई CAG की जांच?
CAG की ये 14 रिपोर्ट्स 2017-2022 के दौरान आम आदमी पार्टी सरकार के विभिन्न विभागों और योजनाओं की वित्तीय स्थिति और प्रदर्शन की समीक्षा से जुड़ी हैं। इनमें से 4 रिपोर्ट्स दिल्ली सरकार के नियंत्रक लेखा (Controller of Accounts) द्वारा तैयार की गई वित्तीय और विनियोग खाते हैं, जबकि बाकी 10 रिपोर्ट्स CAG द्वारा विभिन्न विभागों की ऑडिट रिपोर्ट हैं।
प्रमुख CAG रिपोर्ट्स में क्या है?
- राज्य वित्त ऑडिट रिपोर्ट – दिल्ली सरकार के राजस्व, व्यय और बजट उपयोग की समीक्षा।
- वाहन प्रदूषण ऑडिट रिपोर्ट – दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के उपायों पर हुए खर्च की जांच।
- शराब नीति और आपूर्ति पर ऑडिट – अब रद्द हो चुकी शराब नीति से 2,026 करोड़ रुपये के संभावित राजस्व नुकसान का खुलासा। लाइसेंस वितरण में अनियमितताओं के आरोप।
- शीश महल घोटाला (मुख्यमंत्री आवास नवीकरण) – पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास नवीकरण पर 33.66 करोड़ रुपये खर्च, जो मूल बजट से 342% अधिक।
- मोहल्ला क्लीनिक और स्वास्थ्य योजनाएं – स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च की गई राशि और उसके प्रभाव की जांच।
- DTC और परिवहन विभाग की ऑडिट – दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के घाटे (29,143 करोड़ रुपये) और बस खरीद में अनियमितताओं की समीक्षा।
- शिक्षा विभाग की ऑडिट रिपोर्ट – स्कूलों के बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की भर्ती और शिक्षा योजनाओं में बजट के उपयोग की जांच।
- सामाजिक योजनाओं की समीक्षा – मुफ्त बिजली, पानी सब्सिडी और अन्य कल्याणकारी योजनाओं की पारदर्शिता और प्रभावशीलता का विश्लेषण।
- पर्यावरण और कचरा प्रबंधन रिपोर्ट – प्रदूषण नियंत्रण और कचरा प्रबंधन में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल।
- बुनियादी ढांचा और सार्वजनिक निर्माण कार्य – सड़कों, पुलों और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में खर्च की गई धनराशि की जांच।
CAG रिपोर्ट्स क्यों अहम?
CAG रिपोर्ट्स सरकारी खर्च की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक रूप से अनिवार्य हैं। इन्हें विधानसभा में पेश करने के बाद चर्चा की जाती है और इससे जुड़े मामलों पर कार्रवाई हो सकती है। इस बार की रिपोर्ट्स खासतौर पर महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं, क्योंकि इनमें शराब नीति और मुख्यमंत्री आवास नवीकरण जैसे बड़े विवाद जुड़े हैं, जिन पर पहले भी राजनीतिक घमासान मच चुका है।
BJP का दावा – “AAP के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश”
BJP ने इन रिपोर्ट्स को “AAP सरकार की भ्रष्टाचार गाथा” करार दिया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि रिपोर्ट्स से आम आदमी पार्टी की कथनी और करनी का अंतर उजागर होगा। शराब नीति में कथित घोटाले को लेकर पहले ही जांच चल रही है और अब CAG रिपोर्ट्स इस पर और प्रमाण देंगी।
AAP का पलटवार – “राजनीतिक साजिश”
AAP ने इन रिपोर्ट्स को राजनीतिक हमला बताया है। पार्टी का कहना है कि ये रिपोर्ट्स पहले से केंद्र सरकार के पास थीं, लेकिन अब उन्हें राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। पार्टी का तर्क है कि BJP अपनी नई सरकार को मजबूत करने के लिए AAP को बदनाम कर रही है।
CAG रिपोर्ट्स का सियासी असर
CAG की रिपोर्ट्स पहले भी भारतीय राजनीति में बड़े विवाद खड़े कर चुकी हैं।
- 2G स्पेक्ट्रम घोटाला (2010): CAG ने दावा किया था कि 2G स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिससे कांग्रेस सरकार की साख गिरी और मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा।
- कोयला घोटाला (2012): CAG ने कहा था कि कोयला ब्लॉकों के आवंटन से 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जिसके बाद विपक्ष ने यूपीए सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
- कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला (2011): CAG रिपोर्ट में आयोजन में भ्रष्टाचार उजागर हुआ था, जिसके कारण कांग्रेस सरकार को तीखी आलोचना झेलनी पड़ी।
क्या है CAG और इसका काम?
नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) भारत की संवैधानिक संस्था है, जो केंद्र और राज्य सरकारों के वित्तीय रिकॉर्ड की ऑडिट करती है। CAG को “सार्वजनिक धन का संरक्षक” कहा जाता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि सरकार जनता के पैसे का सही उपयोग कर रही है या नहीं।
CAG की नियुक्ति कैसे होती है?
CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है और इसका कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की उम्र तक (जो भी पहले हो) होता है। इसे हटाने की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होती है, ताकि इसकी स्वतंत्रता बनी रहे। वर्तमान में संजय मूर्ति भारत के CAG हैं, जिन्होंने 21 नवंबर 2024 को पदभार संभाला था।
आगे क्या होगा?
CAG रिपोर्ट्स पेश होने के बाद विधानसभा में इन पर विस्तृत चर्चा होगी। BJP इसे AAP के खिलाफ हमले के तौर पर इस्तेमाल करेगी, वहीं AAP इसे राजनीति से प्रेरित बताएगी। क्या इन रिपोर्ट्स से AAP की मुश्किलें बढ़ेंगी या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित रहेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।