पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सोमवार शाम एक दिल दहला देने वाली घटना में 17 वर्षीय सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर सना यूसुफ की उनके ही घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस वारदात को एक रिश्तेदार ने अंजाम दिया जो मेहमान के रूप में घर आया था।
सना यूसुफ, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के अपर चितराल की रहने वाली थीं, सोशल मीडिया पर एक जानी-मानी शख्सियत थीं। पुलिस के मुताबिक, हमलावर ने सना की मां और मौसी के सामने उसे बेहद करीब से दो गोलियां मारीं और फिर मौके से फरार हो गया। सना की मौके पर ही मौत हो गई।
आरोपी गिरफ्तार, कबूल किया गुनाह
पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहन नकवी ने मंगलवार को बताया कि इस मामले में मुख्य संदिग्ध को गिरफ्तार कर लिया गया है। आरोपी के पास से हत्या में इस्तेमाल किया गया हथियार और सना का मोबाइल फोन भी बरामद कर लिया गया है। पूछताछ में आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है।
इस्लामाबाद के पुलिस प्रमुख सैयद अली नासिर रिजवी के अनुसार, आरोपी 22 वर्षीय युवक है जिसने सना के बार-बार उसके प्रस्ताव ठुकराने पर यह क्रूर कदम उठाया। पुलिस इस मामले में ऑनर किलिंग के एंगल समेत सभी संभावित कारणों की जांच कर रही है।
सना: एक उभरती हुई आवाज़
सना यूसुफ का जन्म 2 जून 2008 को हुआ था। वह एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता की बेटी थीं और कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेडिकल की पहली वर्ष की छात्रा थीं। सोशल मीडिया पर उनके जन्मदिन के एक दिन पहले मनाए गए जश्न का वीडियो भी वायरल हो रहा है।
उनका सोशल मीडिया प्रोफाइल एक सामान्य किशोरी की जिंदगी को दर्शाता है, जिसमें मजेदार वीडियो, सांस्कृतिक उत्सव, महिलाओं के अधिकार, शिक्षा और युवाओं के लिए प्रेरणात्मक संदेश शामिल थे। उनके इंस्टाग्राम पर 5 लाख से अधिक और टिकटॉक पर 4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स थे।
सोशल मीडिया पर उबाल
सना की हत्या की खबर आते ही सोशल मीडिया पर #JusticeForSanaYousaf हैशटैग के साथ लोगों ने न्याय की मांग की। एक यूज़र ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“सना यूसुफ की हत्या सिर्फ एक अपराध नहीं, पाकिस्तान की नैतिक गिरावट का प्रतिबिंब है। राजधानी में एक 17 वर्षीय लड़की की बेरहमी से हत्या यह साबित करती है कि यहां महिलाएं नागरिक नहीं, शिकार हैं।”
वहीं कुछ यूज़र्स ने संयम बरतने और मरने वालों के सम्मान में अभद्र टिप्पणियों से बचने की भी अपील की। एक पोस्ट में लिखा गया,
“इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन। अल्लाह सना को जन्नत अता फरमाए। न्याय की मांग करें लेकिन उनके निजी वीडियो शेयर न करें। इस्लाम हमें मृतकों के सम्मान की शिक्षा देता है।”
पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले
सना की हत्या की तुलना 2012 में मलाला यूसुफजई पर हुए हमले से की जा रही है, जिन्हें लड़कियों की शिक्षा के समर्थन में बोलने पर तालिबान ने निशाना बनाया था। दुखद रूप से यह कोई अकेला मामला नहीं है। इससे पहले भी इसी साल एक व्यक्ति ने अपनी किशोरी बेटी की टिक-टॉक गतिविधियों से नाराज़ होकर उसे मौत के घाट उतार दिया था।
सना यूसुफ की हत्या ने न केवल पाकिस्तान में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी गुस्से और शोक की लहर दौड़ा दी है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि क्या युवतियों को अपनी पहचान, आवाज़ और स्वतंत्रता की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ेगी? अब पूरा देश न्याय की प्रतीक्षा में है।