कौन है IAS फौजिया तरन्नुम? BJP के MLC को मागंनी पड़ी माफी, क्या है पूरा विवाद

कौन है IAS Fauzia Tarannum? BJP के MLC को मांगनी पड़ी माफी, क्या है पूरा विवाद
कौन है IAS Fauzia Tarannum? BJP के MLC को मांगनी पड़ी माफी, क्या है पूरा विवाद

कलबुर्गी (कर्नाटक): भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधान परिषद सदस्य (MLC) एन. रविकुमार के खिलाफ कलबुर्गी की उपायुक्त फौजिया तरन्नुम पर कथित “पाकिस्तानी” टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया गया है। यह विवादास्पद बयान 24 मई को बीजेपी द्वारा आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के दौरान दिया गया था।

क्या कहा था रविकुमार ने?

प्रदर्शन के दौरान रविकुमार ने कथित तौर पर कहा कि, “ऐसा लगता है जैसे वह पाकिस्तान से आई हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारी फौजिया तरन्नुम कांग्रेस पार्टी के निर्देशों पर काम कर रही हैं। इस विवादित बयान के बाद स्टेशन बाज़ार पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और मामले की जांच जारी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की है।

कौन हैं फौजिया तरन्नुम?

फौजिया तरन्नुम, 2015 बैच की भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं और वर्तमान में कर्नाटक के कलबुर्गी जिले की उपायुक्त और जिलाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।जनवरी 2025 में उन्हें राष्ट्रपति द्वारा ‘सर्वोत्तम निर्वाचन प्रथाओं पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कलबुर्गी रोटी को ब्रांडिंग कर स्थानीय पहचान को बढ़ावा दिया और बाजरे को पुनः मुख्य आहार बनाने की पहल की। उन्हें ‘गवर्नेंस में उत्कृष्टता पुरस्कार’ भी प्राप्त हुआ है।

IAS एसोसिएशन ने की तीखी निंदा, माफी की मांग

IAS अधिकारियों के संघ (IAS Officers’ Association) ने रविकुमार की टिप्पणी को गंभीर, अस्वीकार्य और भ्रामक बताते हुए उनसे निर्विवाद माफी की मांग की है।

संघ ने बयान जारी कर कहा:

“फौजिया तरन्नुम एक निष्कलंक छवि की अधिकारी हैं, जिनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहतरीन है। रविकुमार द्वारा की गई टिप्पणी निराधार, अनुचित और पूर्णतः तर्कहीन है। ऐसी बयानबाज़ी न केवल एक समर्पित अधिकारी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती है, बल्कि मानसिक उत्पीड़न के दायरे में भी आती है।”

रविकुमार का बयान: ‘स्लिप ऑफ टंग’

विवाद बढ़ने के बाद MLC एन. रविकुमार ने बयान जारी कर अपनी टिप्पणी को “अनजाने में हुई गलती” बताया। उन्होंने कहा:

“यह एक स्लिप ऑफ टंग था और मेरी टिप्पणी अनजाने में हो गई। मैंने अपने शब्द वापस ले लिए हैं। मैं अधिकारी का सम्मान करता हूं और उनकी पेशेवर योग्यता तथा ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठाता।”

यह मामला एक बार फिर से राजनीति और नौकरशाही के बीच संतुलन की अहमियत को रेखांकित करता है। जहां एक ओर एक जनप्रतिनिधि द्वारा की गई टिप्पणी को गंभीरता से लिया गया है, वहीं प्रशासनिक अधिकारी के समर्थन में अफसरशाही ने एकजुटता दिखाई है। फिलहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का राजनीतिक और कानूनी भविष्य क्या होता है।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।