कौन है Mahatma Gandhi की Great-Granddaughter, क्या है मामला? और क्यों बनी फिर से सुर्खियों में

कौन है Mahatma Gandhi की Great-Granddaughter, क्या है मामला? और क्यों बनी फिर से सुर्खियों में
कौन है Mahatma Gandhi की Great-Granddaughter, क्या है मामला? और क्यों बनी फिर से सुर्खियों में

नई दिल्ली: महात्मा गांधी की परपोती आशिष लता रामगोबिन को दक्षिण अफ्रीका की एक अदालत ने करीब 3.22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में सात साल की सजा सुनाई थी। आज इस मामले को चार साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन यह एक बार फिर सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चर्चा का विषय बन गया है।

इस बार चर्चा की वजह है ऑस्कर विजेता संगीतकार हांस ज़िमर की एक सोशल मीडिया पोस्ट। हांस ज़िमर ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम स्टोरी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप प्रशासन शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंसक तत्वों को जानबूझकर भेज सकता है। ज़िमर ने प्रदर्शनकारियों से गांधीवादी तरीके अपनाने का आह्वान किया और लिखा कि उन्हें हिंसा के बजाय शांति से ज़मीन पर बैठ जाना चाहिए। इसी संदर्भ में लोगों ने गांधीजी की परपोती लता रामगोबिन के मामले को एक बार फिर उठाया है, जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है।

क्या है मामला?

दक्षिण अफ्रीका के डर्बन स्पेशलाइज़्ड कमर्शियल क्राइम कोर्ट ने लता रामगोबिन को 2021 में दोषी ठहराया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक व्यवसायी एसआर महाराज को 6.2 मिलियन रैंड (लगभग ₹3.22 करोड़) का चूना लगाया।

रामगोबिन ने दावा किया था कि उन्होंने भारत से अस्पताल समूह के लिए तीन कंटेनरों में लिनन आयात किया है और उन्हें कस्टम ड्यूटी चुकाने के लिए पैसों की जरूरत है। इसके बदले उन्होंने मुनाफे में हिस्सेदारी का वादा किया था। जांच और सुनवाई के दौरान पता चला कि ऐसा कोई शिपमेंट कभी अस्तित्व में था ही नहीं। लता ने नकली चालान और दस्तावेज बनाकर महाराज को झांसा दिया था। महाराज एक ऐसा व्यापारी हैं जो कपड़े, लिनन और जूते बेचते हैं और दूसरे व्यापारों में निवेश भी करते हैं। उनकी मुलाकात लता से 2015 में हुई थी।

कौन हैं आशिष लता रामगोबिन?

लता प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्ता एला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोबिन की बेटी हैं। एला गांधी स्वयं महात्मा गांधी की पोती हैं और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। चार साल पुराने इस मामले को हांस ज़िमर की पोस्ट ने फिर से वैश्विक चर्चा में ला दिया है। जहां एक ओर महात्मा गांधी की विरासत को शांति और अहिंसा के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है, वहीं उनकी वंशज पर लगे यह गंभीर आरोप कई लोगों को निराश करने वाले हैं। यह मामला सिर्फ एक धोखाधड़ी का नहीं, बल्कि उस विरासत से जुड़ी उम्मीदों और जिम्मेदारियों का भी है, जो महात्मा गांधी जैसे व्यक्तित्व के नाम से जुड़ी होती हैं।