प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी को क्यों लिखा पत्र, राहत पैकेज में रखी दो विवादास्पद शर्तें

प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी को क्यों लिखा पत्र, राहत पैकेज में रखी दो विवादास्पद शर्तें
प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी को क्यों लिखा पत्र, राहत पैकेज में रखी दो विवादास्पद शर्तें

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर वायनाड के लिए घोषित राहत पैकेज को अनुदान में बदलने की मांग की। उन्होंने कहा कि वायनाड के लोग इस कठिन समय में हर संभव सहायता और सहयोग के हकदार हैं, ताकि वे इस विनाशकारी आपदा से उबर सकें।

राहत पैकेज पर जताई आपत्ति

प्रियंका गांधी ने अपने पत्र में लिखा, “मैं आपसे विनम्र अनुरोध करती हूं कि वायनाड के लोगों की स्थिति पर संवेदनशीलता से विचार करें। राहत पैकेज को अनुदान में बदला जाए और इसकी समय-सीमा को बढ़ाया जाए। इससे प्रभावित लोग अपने जीवन का पुनर्निर्माण कर सकेंगे और उन्हें भविष्य के प्रति आशा व भरोसा मिलेगा।”

उन्होंने कहा कि वायनाड जिले को तत्काल आर्थिक और बुनियादी ढांचे की सहायता की जरूरत है। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा घोषित ₹529.50 करोड़ का राहत पैकेज कई शर्तों के साथ दिया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित और असंवेदनशील है।

राहत पैकेज में दो विवादास्पद शर्तें

कांग्रेस सांसद ने इस पैकेज की शर्तों पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने कहा कि पहली शर्त यह है कि यह राहत पैकेज अनुदान के बजाय ऋण के रूप में दिया जाएगा, जबकि सामान्यत: इस तरह की सहायता अनुदान के रूप में दी जाती है। दूसरी शर्त यह है कि संपूर्ण राशि को 31 मार्च 2025 तक खर्च करना अनिवार्य होगा।

प्रियंका गांधी ने कहा, “ये शर्तें वायनाड के लोगों के साथ अन्याय हैं। चूरलमला और मुंडक्काई के लोग पहले ही अपार पीड़ा झेल चुके हैं, ऐसे में यह पैकेज उनके लिए और अधिक समस्याएं खड़ी करेगा।”

पुनर्वास कार्य में हो रही देरी

उन्होंने यह भी कहा कि पुनर्वास की प्रक्रिया बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है, जिससे लोगों की परेशानियां और बढ़ रही हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से वे पहले ही गहरे सदमे में हैं, ऊपर से राहत कार्यों में देरी उनकी मुश्किलें और बढ़ा रही है।

केंद्र से तुरंत हस्तक्षेप की मांग

प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार से राहत पैकेज को ऋण के बजाय अनुदान में बदलने और उसकी समय-सीमा बढ़ाने की मांग की, ताकि वायनाड के लोग अपनी जिंदगी को दोबारा संवार सकें।

Digikhabar Editorial Team
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