नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की असामयिक विदाई पर जहां न्यायपालिका ने सम्मान जताया, वहीं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) की चुप्पी पर देश के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की बेंच की अध्यक्षता में बैठे CJI बी.आर. गवई ने शुक्रवार को खुलकर नाराज़गी जाहिर की।
दरअसल, जस्टिस त्रिवेदी, जो सुप्रीम कोर्ट की 75 साल की इतिहास में 11वीं महिला जज बनीं, ने निजी कारणों से समय से पहले पद छोड़ दिया। उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि 9 जून 2025 तय थी, लेकिन उन्होंने शुक्रवार को ही न्यायिक सेवा को अलविदा कह दिया।
CJI गवई ने क्या कहा?
CJI गवई ने SCBA द्वारा जस्टिस त्रिवेदी को विदाई न देने के फैसले को खुलकर “निंदनीय” बताया। उन्होंने कहा,
“एसोसिएशन का यह रवैया सार्वजनिक रूप से आलोचना योग्य है। मैं हमेशा स्पष्ट और सीधा बोलने में विश्वास रखता हूं। इस मौके पर इस तरह का निर्णय निंदनीय है।”
हालांकि, CJI ने SCBA के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव की उपस्थिति की सराहना की और कहा,
“संघ के प्रस्ताव के बावजूद इनका यहां होना सराहनीय है। लेकिन जो एसोसिएशन ने खोया है, वो इस फुल हाउस की मौजूदगी से साफ है कि जस्टिस त्रिवेदी एक बेहतरीन जज थीं।”
जस्टिस त्रिवेदी का न्यायिक सफर:
- जन्म: 10 जून 1960, पाटन, गुजरात
- वकालत की शुरुआत: गुजरात हाईकोर्ट में एक दशक तक प्रैक्टिस
- 1995: ट्रायल कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति
- 2011: गुजरात हाईकोर्ट में जज के रूप में पदोन्नति
- 2021: सुप्रीम कोर्ट में ऐतिहासिक रूप से 9 जजों के साथ नियुक्ति, जिनमें 3 महिलाएं थीं
साहसी फैसलों और ईमानदार छवि की मिसाल:
जस्टिस त्रिवेदी ने कई ऐतिहासिक और संवैधानिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने न्यायिक सेवा में अपनी न्यायप्रियता, मेहनत और निष्पक्षता से विशेष पहचान बनाई।
CJI गवई ने कहा
“आप न्यायपालिका की बहुमूल्य धरोहर रही हैं। हम आपके नए जीवन सफर के लिए शुभकामनाएं देते हैं।” न्यायपालिका के इतिहास में एक सशक्त अध्याय का समापन हुआ है, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी की छवि, फैसले और योगदान हमेशा न्यायिक व्यवस्था को प्रेरणा देते रहेंगे।