छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के बीजापुर क्षेत्र में स्थानीय पत्रकार मुकेश चंद्रकार का शव एक पानी के टैंक में मिला। उनका शव ठेकेदार सुरेश चंद्रकार की संपत्ति में पानी के टैंक से बरामद हुआ, जहां उन्हें आखिरी बार 1 जनवरी की रात को देखा गया था।
भ्रष्टाचार मामले की जांच कर रहे थे मुकेश
मुकेश चंद्रकार हाल ही में बस्तर में ₹120 करोड़ के सड़क निर्माण परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच कर रहे थे। इस मामले में ठेकेदार सुरेश चंद्रकार के खिलाफ सरकार ने जांच शुरू की थी। मुकेश के खुलासे ने क्षेत्र में ठेकेदार लॉबी के भीतर भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग पर सवाल उठाए थे।
मुकेश के परिवार ने उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जब उनका फोन 1 जनवरी को एक बैठक के बाद बंद हो गया था। यह बैठक सुरेश चंद्रकार के भाई रितेश द्वारा आयोजित की गई थी, जो सुरेश की एक संपत्ति पर हुई थी। मुकेश के बड़े भाई युकेश चंद्रकार ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी, जिसके बाद पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की और मुकेश का आखिरी स्थान पहचाना, जिसके बाद उनका शव उसी दिन शाम को पानी के टैंक में मिला।
पुलिस की जांच और संदिग्धों की गिरफ्तारी
बीजापुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “मुकेश के भाई ने हमें सूचित किया था कि मुकेश 1 जनवरी से लापता था। हमने कार्रवाई शुरू की, सीसीटीवी फुटेज की समीक्षा की और उसका आखिरी स्थान पाया। आज शाम को हमें मुकेश का शव पानी के टैंक में मिला।” शव मिलने के बाद, घटनास्थल पर फोरेंसिक विशेषज्ञों को बुलाया गया और मौत के कारणों की जांच शुरू कर दी गई है। कई लोग ठेकेदार से जुड़े होने के कारण पूछताछ के लिए बुलाए गए हैं, और पुलिस ने मुकेश के भाई सुकेश को हिरासत में लिया है, जबकि अन्य परिवार के सदस्य फरार हैं।
स्थानीय ठेकेदार लॉबी की भूमिका
सूत्रों के अनुसार, बस्तर क्षेत्र में ठेकेदार लॉबी को कथित रूप से सरकारी ठेके हासिल करने के लिए प्रभाव और रिश्वत का इस्तेमाल करने के आरोपों का सामना करना पड़ता है। ये लोग अक्सर विरोध करने वालों को चुप कराने के लिए धमकी या हिंसा का सहारा लेते हैं। इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को अक्सर परेशान किया जाता है और उनका उत्पीड़न किया जाता है।
मुकेश चंद्रकार का योगदान और दुखद हत्या
मुकेश चंद्रकार बस्तर क्षेत्र में नक्सल हमलों और आदिवासी समुदाय की समस्याओं पर रिपोर्टिंग करने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 2021 में एक बड़ी घटना को कवर किया, जब सीआरपीएफ के एक जवान राकेश्वर सिंह मनहास को माओवादियों ने अपहरण कर लिया था। मुकेश चंद्रकार की रिपोर्टिंग और उनके प्रयासों के कारण ही राकेश्वर सिंह की सुरक्षित रिहाई संभव हो पाई थी, जिसके लिए राज्य पुलिस ने उनकी सराहना की थी।
मुकेश के पास दस वर्षों का पत्रकारिता का अनुभव था। वह राष्ट्रीय समाचार चैनल के लिए स्ट्रिंगर के तौर पर काम करते थे और “बस्तर जंक्शन” नामक एक यूट्यूब चैनल चलाते थे, जो नक्सलवाद और आदिवासी समुदाय की समस्याओं पर केंद्रित था। उनकी हत्या ने इस क्षेत्र में पत्रकारिता करने के जोखिम और खतरों पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
पत्रकारिता के प्रति समर्पण और मांग
राष्ट्रीय समाचार चैनल के रेजीडेंट संपादक अनुराग द्वारी ने मुकेश की हत्या की कड़ी निंदा की और कहा कि मामले की त्वरित जांच की आवश्यकता है। उन्होंने मुकेश की कड़ी मेहनत और न्याय की तलाश में उनके योगदान को याद किया। बस्तर के पत्रकारों ने भी उनकी हत्या की कड़ी आलोचना की और यह बताया कि उन्हें अपने काम के दौरान रोजाना खतरों का सामना करना पड़ता है।
मुकेश चंद्रकार की हत्या ने यह साबित कर दिया है कि बस्तर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में पत्रकारों के लिए अपनी पेशेवर जिम्मेदारियों का पालन करना कितना जोखिमपूर्ण हो सकता है। पुलिस ने मामले की जांच को गंभीरता से लेते हुए मामले को जल्द सुलझाने का आश्वासन दिया है।