
पेरिस: फ्रांस की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सेबास्टियन लेकोर्नू को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है। यह दो वर्षों के भीतर फ्रांस के पांचवें प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने फ्रांस्वा बायरू के इस्तीफे के बाद यह जिम्मेदारी संभाली है।
लेकॉर्नू के सामने कार्यभार संभालने से पहले ही संकट के बादल मंडरा रहे हैं। देशभर में “ब्लॉक एवरीथिंग” (Bloquons tout) नामक एक बृहद नागरिक आंदोलन ने सरकार की आर्थिक नीतियों और कटौती उपायों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। इस जनविरोध की लहर ने नए प्रधानमंत्री के सामने दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है — एक ओर राजनीतिक रूप से बिखरी संसद और दूसरी ओर सड़कों पर सरकार विरोधी उग्र आंदोलन।
सड़कों पर उबाल: प्रदर्शन और हिंसा
“ब्लॉक एवरीथिंग” आंदोलन की अगुवाई वामपंथी नागरिक समूह कर रहे हैं। यह आंदोलन पारंपरिक यूनियनों या राजनीतिक दलों से अलग, पूरी तरह से स्वतंत्र है और सोशल मीडिया के जरिए संगठित किया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार को फ्रांस के कई शहरों में जोरदार प्रदर्शन किया। रेन शहर में एक बस को आग के हवाले कर दिया गया और दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में बिजली लाइन को नुकसान पहुंचाया गया। अब तक करीब 200 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
आंदोलन की मांगें और रणनीति
यह आंदोलन नागरिक अवज्ञा, बहिष्कार और एकजुटता की अपील कर रहा है। मुख्य मांगें और कार्रवाइयां इस प्रकार हैं:
- बड़े खुदरा ब्रांडों जैसे Carrefour, Amazon और Auchan का बहिष्कार
- बैंकों से नकद निकासी कर वित्तीय संस्थानों पर दबाव
- टाउन हॉल और प्रतीकात्मक स्थलों का शांतिपूर्ण घेराव
- स्थानीय स्तर पर सभाएं और स्ट्राइक फंड का गठन
हालांकि प्रदर्शनकारी देश को पूरी तरह ठप करने के अपने लक्ष्य में सफल नहीं हो पाए, लेकिन इसने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार के फैसलों को लेकर जन असंतोष चरम पर है।
बजट बना विरोध की जड़
इस आंदोलन की सबसे बड़ी वजह है 2026 का बजट, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बायरू ने पेश किया था। बजट में प्रस्तावित कदमों ने लोगों की नाराजगी को और हवा दी:
- राष्ट्रीय बजट में 43.8 मिलियन फ्रैंक की कटौती
- दो राष्ट्रीय अवकाश हटाने का प्रस्ताव
- पेंशन पर रोक, यानि महंगाई के अनुरूप वृद्धि नहीं
- 5 बिलियन फ्रैंक की कटौती स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से
- देश के राजकोषीय घाटे को कम करने की दिशा में सख्त उपाय
लेकॉर्नू के लिए अग्नि परीक्षा
सेबास्टियन लेकोर्नू ऐसे समय में सत्ता में आए हैं, जब फ्रांस अंदरूनी अस्थिरता और जन असंतोष से जूझ रहा है। उन्हें संसद में राजनीतिक समर्थन जुटाने के साथ-साथ जनता के बीच विश्वास बहाल करने की कठिन चुनौती का सामना करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि लेकोर्नू का कार्यकाल “अग्निपरीक्षा” साबित हो सकता है। यदि वे जनता और संसद दोनों को संतुलित करने में विफल रहते हैं, तो मैक्रों सरकार के लिए यह एक और राजनीतिक झटका हो सकता है।