IAS अधिकारी ने Noida प्राधिकरण में लापरवाह कर्मचारियों को 30 मिनट तक रखा खड़ा, वीडियो वायरल

IAS अधिकारी ने Noida प्राधिकरण में लापरवाह कर्मचारियों को 30 मिनट तक रखा खड़ा, वीडियो वायरल
IAS अधिकारी ने Noida प्राधिकरण में लापरवाह कर्मचारियों को 30 मिनट तक रखा खड़ा, वीडियो वायरल

नोएडा: सरकारी दफ्तरों में लंबी कतारों और कर्मचारियों की लापरवाही के बारे में अक्सर शिकायतें आती रहती हैं। हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें एक बुजुर्ग दंपति को नोएडा प्राधिकरण के आवासीय भूखंड विभाग में एक घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहना पड़ा, लेकिन एक भी कर्मचारी उनकी मदद करने के बजाय बिना काम किए बैठा रहा।

जब इस मामले का पता सीसीटीवी फुटेज से चला, तो नोएडा प्राधिकरण के सीईओ लोकेश एम ने तुरंत हस्तक्षेप किया। उन्होंने पहले तो कर्मचारियों को इस मामले को हल करने का निर्देश दिया, लेकिन जब कर्मचारी फिर भी कोई कार्रवाई नहीं करते दिखे, तो सीईओ खुद विभाग का दौरा करने पहुंचे। यहां उन्होंने कर्मचारियों को उनकी लापरवाही के लिए फटकार लगाई और उन्हें 30 मिनट तक खड़े रहकर काम करने की सजा दी।

यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों ने सीईओ के सक्रिय दृष्टिकोण की सराहना की। वीडियो में कर्मचारियों को खड़े होकर काम करते हुए दिखाया गया, जो आमतौर पर उनकी डेस्क पर बैठने की स्थिति में होते हैं।

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए, लोकेश एम ने कहा, “मैंने सीसीटीवी के माध्यम से देखा कि एक वरिष्ठ नागरिक एक घंटे से अधिक समय तक खड़ा था, जबकि हमारा कर्मचारी बेकार बैठा हुआ था। जब समस्या को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए थे, फिर भी कर्मचारियों ने इसे हल नहीं किया। मुझे खुद उस विभाग का दौरा करने और कर्मचारियों को अनुशासन सिखाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं मिला।”

सीईओ ने यह भी बताया कि कर्मचारियों की लापरवाही के खिलाफ कई बार शिकायतें आई थीं, इसीलिए अब नोएडा प्राधिकरण के सभी दफ्तरों और सार्वजनिक क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सेक्टर 6 स्थित दफ्तर में हर दिन करीब 1,000 लोग आते हैं, जिनमें से कई लोग संपत्ति से संबंधित मामलों में देरी और लापरवाही की शिकायत करते हैं।

सीईओ के इस कदम पर जनता की प्रतिक्रियाएं मिली-जुली रही हैं। जहां कुछ लोग कर्मचारियों को जवाबदेह ठहराने के लिए उनकी सराहना कर रहे हैं, वहीं कुछ ने सख्त सजा देने का सुझाव भी दिया है। एक व्यक्ति ने कहा, “सीईओ को पूरी तरह से सराहा जाना चाहिए,” जबकि दूसरे ने यह भी कहा, “कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जानी चाहिए, ताकि वे अपनी जिम्मेदारी समझें।” कुछ लोगों ने इस घटना पर मजाक करते हुए इसे स्कूली बच्चों को अनुशासित करने जैसा बताया।

यह घटना इस बात का उदाहरण बन गई है कि कैसे सार्वजनिक सेवाओं में कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकती है, और अधिकारियों की सक्रियता से काम में सुधार लाया जा सकता है।

Digikhabar Editorial Team
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