
आदानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने अपने ब्लॉग में महाकुंभ 2025 को “दुनिया का सबसे बड़ा प्रबंधन केस स्टडी” बताया। उन्होंने इसे सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक ऐसा जीवंत सिस्टम करार दिया जो लाखों लोगों को एक साथ जोड़ता और प्रेरित करता है।
समावेशी विकास का प्रतीक
अडानी ने कहा, “महाकुंभ समावेशी विकास का आदर्श उदाहरण है।” यह आयोजन साधुओं से लेकर सीईओ तक, ग्रामीणों से लेकर विदेशी पर्यटकों तक, सभी का स्वागत करता है। उनके अनुसार, यह आयोजन न केवल भौतिक रूप से बल्कि “अच्छाई के साथ विकास” की भावना को भी दर्शाता है।
आध्यात्मिक तकनीक की शक्ति
गौतम अडानी ने महाकुंभ को “आध्यात्मिक तकनीक” का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, “जब हम डिजिटल नवाचार पर गर्व करते हैं, तब कुंभ मानव चेतना को प्रबंधित करने की उन पुरानी व्यवस्थाओं को दर्शाता है, जो आज भी प्रासंगिक हैं।” उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य जैसे आधुनिक युग के सबसे बड़े संकटों को हल करने के लिए कुंभ के इस “सॉफ्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर” की सराहना की।
सांस्कृतिक आत्मविश्वास का प्रतीक
अडानी ने कहा कि महाकुंभ वैश्वीकरण के दौर में सांस्कृतिक प्रामाणिकता का प्रतीक है। “यह सिर्फ एक संग्रहालय नहीं है, बल्कि परंपरा और आधुनिकता के अद्भुत समायोजन का जीवंत उदाहरण है,” उन्होंने कहा।
अडानी ग्रुप और कुंभ का योगदान
अडानी ने बताया कि उनका समूह इस वर्ष कुंभ मेले में गहराई से जुड़ा रहा है। उन्होंने कहा, “जब हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने कुंभ मेले के लॉजिस्टिक्स का अध्ययन किया, तो वे इसके पैमाने पर चकित रह गए। लेकिन, एक भारतीय के रूप में, मैं इसे सिर्फ संख्याओं का खेल नहीं, बल्कि शाश्वत सिद्धांतों का उदाहरण मानता हूं।”
‘जुगाड़’ का असली स्वरूप
अडानी ने कुंभ मेले को एक अस्थायी शहर की उपमा दी, जो हर 12 साल में न्यूयॉर्क शहर से भी बड़ा आकार लेता है। उन्होंने कहा, “यह बिना किसी बोर्ड मीटिंग, पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन या वेंचर कैपिटल के भारतीय ‘जुगाड़’ का उदाहरण है, जिसे सदियों के अनुभव और सीख से सशक्त बनाया गया है।”
लीडरशिप और समावेशिता का पाठ
गौतम अडानी ने कुंभ के नेतृत्व मॉडल को भी सराहा। उन्होंने कहा, “महाकुंभ में कोई एकल प्राधिकरण नहीं होता। असली नेतृत्व आदेश देने में नहीं, बल्कि सबको साथ लेकर चलने में है।” उन्होंने कुंभ में शामिल अखाड़ों, स्थानीय अधिकारियों और स्वयंसेवकों की भूमिका की प्रशंसा की।
आधुनिक नेतृत्व के लिए सबक
अडानी ने आधुनिक व्यापारिक नेताओं के लिए महाकुंभ से कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए:
- क्या हम ऐसे संगठन बना सकते हैं, जो वर्षों नहीं, बल्कि सदियों तक टिक सकें?
- क्या हमारे सिस्टम केवल आकार को नहीं, बल्कि आत्मा को भी संभाल सकते हैं?
शाश्वत सिद्धांतों पर आधारित आयोजन
अडानी ने कहा कि कुंभ मेले के सबक टिकाऊ संसाधन प्रबंधन, सामूहिक सहयोग, तकनीक और मानवता के मेल, सेवा आधारित नेतृत्व, और आत्मा के साथ पैमाने के सिद्धांतों को समाहित करते हैं।
निष्कर्ष
गौतम अडानी ने महाकुंभ 2025 को आधुनिक युग के लिए प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि यह आयोजन हमें “संवेदनशील और प्रभावशाली प्रबंधन” का पाठ पढ़ाता है। उनका मानना है कि महाकुंभ न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक व्यापार और नेतृत्व के लिए भी एक आदर्श मॉडल है।