आतंकवादियों की तरह निर्वासित प्रवासियों को वापस लाया गया अमेरिका से भारत

आतंकवादियों की तरह निर्वासित प्रवासियों को वापस लाया गया अमेरिका से भारत
आतंकवादियों की तरह निर्वासित प्रवासियों को वापस लाया गया अमेरिका से भारत

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की कड़ी प्रवास नीति के तहत, बुधवार दोपहर को एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें 104 भारतीय अप्रवासी सवार थे, जिन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका से निर्वासित कर भारत भेजा गया है। यह पहली बार है जब ट्रंप प्रशासन की प्रवास नीति में कड़ी कार्रवाई के बाद भारतीय नागरिकों को अमेरिका से वापस भेजा गया है।

इन 104 निर्वासित व्यक्तियों में अधिकांश लोग पंजाब, हरियाणा और गुजरात से हैं। इनमें से 19 महिलाएं और 13 बच्चे भी शामिल थे, जिन्हें विमान में यात्रा के दौरान पूरी यात्रा के दौरान हथकड़ी और पैरों में चेन पहने हुए देखा गया। यह दृश्य बेहद दुखद और चौंकाने वाला था।

जसपाल सिंह की दर्दभरी कहानी

इस घटनाक्रम के एक हिस्से के रूप में, 36 वर्षीय जसपाल सिंह, जो पंजाब के हरडोवाल गांव के निवासी हैं, उन्होंने अपनी दर्दनाक कहानी साझा की। जसपाल ने बताया कि उन्हें और अन्य निर्वासितों को विमान में यात्रा के दौरान हथकड़ी और चेन से बांध दिया गया था। उन्होंने कहा, “हम सभी को हथकड़ी और पैरों में चेन डालकर भेजा गया। पहले तो मुझे लगा कि हमें किसी अन्य शिविर में ले जाया जा रहा है, लेकिन एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम भारत लौट रहे हैं।” जसपाल सिंह ने अमेरिका में अपनी यात्रा की शुरुआत ब्राजील से की थी, जहां वह छह महीने तक फंसे हुए थे। उन्होंने अपने यात्रा एजेंट के माध्यम से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश की थी और ₹30 लाख का भुगतान किया था, लेकिन 24 जनवरी को उन्हें अमेरिकी सीमा सुरक्षा द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया और 11 दिन तक हिरासत में रखने के बाद उन्हें निर्वासित कर दिया गया।

निर्वासन से टूटे सपने

जसपाल सिंह ने अपनी वापसी को लेकर गहरी निराशा और आर्थिक संकट का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “इतना पैसा खर्च किया और उधारी पर पैसे लिए थे। अब वह सब कुछ खत्म हो गया है।” उनके परिवार के लिए यह एक बड़ा झटका था, और उनके रिश्तेदार जसबीर सिंह ने इस पूरे घटनाक्रम पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, “जो सपने हम लोग देखने आए थे, वे अब टूट गए हैं।”

खतरनाक यात्रा का सामना

जसपाल सिंह की तरह कई अन्य निर्वासितों ने भी अपनी यात्रा के दौरान खतरों से भरी हुई राहों का सामना किया। होशियारपुर के एक अन्य निर्वासित, हरविंदर सिंह ने बताया कि वह कई देशों से होकर अमेरिका पहुंचे थे और रास्ते में कई कठिनाइयां झेली थीं। उन्होंने कहा, “हमने पहाड़ियों को पार किया, और हमारी नाव लगभग पलट गई। मैं जंगल में लोगों को मरते हुए देखता था।” ये अनुभव न केवल भयंकर थे, बल्कि उन्हें मानसिक और शारीरिक दोनों ही प्रकार से कमजोर कर चुके थे।

भारत-अमेरिका रिश्तों पर असर

इन निर्वासितों के मामले से एक नई राजनीतिक स्थिति भी उभरती है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाली आगामी वार्ता के दौरान यह मुद्दा सामने आ सकता है। भारत सरकार ने इस मामले से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, और एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने करीब 18,000 अवैध भारतीय प्रवासियों को अमेरिका से वापस लाने की तैयारी शुरू कर दी है।

निष्कर्ष

अमेरिका से भारतीय अप्रवासियों की वापसी और उनकी कहानी इस बात को उजागर करती है कि वैश्विक प्रवास और अवैध प्रवास की समस्याएं केवल प्रशासनिक मुद्दे नहीं हैं, बल्कि इनसे जुड़े लोगों की जिंदगी में भारी सामाजिक और मानसिक प्रभाव डालते हैं। इन यात्राओं का हिस्सा बने लोग, जिन्होंने सपने देखे थे एक बेहतर जीवन की तलाश में, अब उन्हीं सपनों के टूटने का शिकार हो गए हैं। ऐसे में, भारत और अमेरिका के रिश्तों के संदर्भ में इस मुद्दे का समाधान कैसे निकाला जाएगा, यह आने वाले समय में देखा जाएगा।

Digikhabar Editorial Team
DigiKhabar.in हिंदी ख़बरों का प्रामाणिक एवं विश्वसनीय माध्यम है जिसका ध्येय है "केवलं सत्यम" मतलब केवल सच सच्चाई से समझौता न करना ही हमारा मंत्र है और निष्पक्ष पत्रकारिता हमारा उद्देश्य.