नई दिल्ली: दक्षिण एशियाई द्वीपीय देश फिलीपींस ने भारत को सूचित किया है कि वह अगले वित्तीय वर्ष में $200 मिलियन मूल्य के स्वदेशी शॉर्ट-रेंज मिसाइलों की खरीद का ऑर्डर देगा। यह सौदा भारत के लिए फिलीपींस के साथ दूसरा बड़ा रक्षा निर्यात अनुबंध होगा।
अकाश मिसाइल सिस्टम पर नजर
फिलीपींस की सेना ने भारत में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित अकाश मिसाइल सिस्टम में दिलचस्पी दिखाई है। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल 25 किमी तक की दूरी तक निशाना साध सकती है।
सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पिछले साल अर्मेनिया को $230 मिलियन में अकाश मिसाइलों की आपूर्ति की थी। हालांकि, फिलीपींस के साथ होने वाला यह सौदा अर्मेनिया के सौदे से बड़ा होने की उम्मीद है। फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी मिसाइलें और कितने रडार व अन्य सिस्टम शामिल होंगे।
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम खरीद चुका है फिलीपींस
अगर यह सौदा होता है, तो यह भारत द्वारा फिलीपींस को किया गया दूसरा बड़ा रक्षा सौदा होगा। 2022 में, भारत ने फिलीपींस को $375 मिलियन में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली बेची थी।
बढ़ती सैन्य ताकत, चीन से तनाव की पृष्ठभूमि
फिलीपींस के सेना प्रमुख जनरल रोमियो ब्रॉनर ने कहा कि उनका देश अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए और अधिक सैन्य हार्डवेयर खरीदने की योजना बना रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि फिलीपींस अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइल और कम से कम दो पनडुब्बियां खरीदने की योजना बना रहा है। हालांकि, उन्होंने अकाश मिसाइल सौदे का जिक्र नहीं किया।
फिलीपींस के रक्षा प्रवक्ता अर्सेनियो एंडोलोंग ने इस सौदे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि फिलीपींस की सेना को इन क्षमताओं की जरूरत है।
यह खरीद ऐसे समय में हो रही है जब फिलीपींस और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर को लेकर तनाव लगातार बढ़ रहा है। हाल के वर्षों में दोनों देशों के बीच कई झड़पें भी हो चुकी हैं।
भारत बना रहा है रक्षा क्षेत्र में नई पहचान
भारत, जो अब तक दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक रहा है, अब घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ाकर निर्यात बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की यह रणनीति चीन की सैन्य ताकत और प्रभाव को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। 2020 में हिमालयी सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ झड़पों के बाद भारत ने अपनी रक्षा नीति में बड़े बदलाव किए हैं और आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत घरेलू हथियार उत्पादन को प्राथमिकता दी है।
अगर अकाश मिसाइल डील पर हस्ताक्षर होते हैं, तो यह भारत की रक्षा निर्यात क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में भारत की मजबूत सैन्य उपस्थिति का संकेत देगा।