नई दिल्ली: महिलाओं को होने वाले कैंसर से बचाव के लिए नई वैक्सीन अगले पांच से छह महीनों में उपलब्ध होगी, केंद्रीय स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और आयुष राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने मंगलवार को यह घोषणा की। यह वैक्सीन 9 से 16 वर्ष की लड़कियों को दी जाएगी और सरकार के कैंसर नियंत्रण अभियान का अहम हिस्सा होगी।
जल्द पूरा होगा वैक्सीन पर शोध
मंत्री जाधव ने छत्रपति संभाजीनगर में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि वैक्सीन पर शोध अंतिम चरण में है और परीक्षण जारी हैं। उन्होंने कहा, “देश में कैंसर मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं। 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं की अस्पतालों में स्क्रीनिंग होगी और जल्द ही देशभर में डेकेयर कैंसर केंद्र खोले जाएंगे ताकि बीमारी का शुरुआती चरण में ही पता लगाया जा सके।”
स्तन, मुंह और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर पर फोकस
केंद्र सरकार द्वारा विकसित यह वैक्सीन स्तन कैंसर, ओरल (मुंह) कैंसर और गर्भाशय ग्रीवा (सर्वाइकल) कैंसर के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करेगी। इसके अलावा, सरकार ने कैंसर उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर कस्टम ड्यूटी समाप्त कर दी है, जिससे इलाज को सस्ता और सुलभ बनाया जा सके।
आयुष चिकित्सा को भी मिलेगा बढ़ावा
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि देशभर के अस्पतालों में आयुष विभाग स्थापित किए गए हैं। फिलहाल 12,500 आयुष केंद्र कार्यरत हैं और जल्द ही इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
इसी बीच, दिसंबर 2024 में रूस ने कैंसर के इलाज के लिए mRNA आधारित वैक्सीन विकसित करने की घोषणा की। यह वैक्सीन कैंसर से बचाव के बजाय रोगियों के इलाज के लिए बनाई गई है और 2025 की शुरुआत में लॉन्च होगी। रूसी नागरिकों को यह वैक्सीन मुफ्त दी जाएगी।
रूस के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के प्रमुख आंद्रेई कप्रीन ने कहा, “यह वैक्सीन मरीज के ट्यूमर से प्राप्त आनुवंशिक सामग्री पर आधारित होगी, जिससे रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करने और उन्हें नष्ट करने में मदद मिलेगी।”
कैसे काम करेगी रूस की नई वैक्सीन?
रूस के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने इस वैक्सीन के निर्माण की जटिल प्रक्रिया को समझाया। शोधकर्ता अलेक्जेंडर गिन्ट्सबर्ग के अनुसार, “यह वैक्सीन मरीज के ट्यूमर से प्राप्त विशिष्ट प्रोटीन (एंटीजेन) का उपयोग कर प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रशिक्षित करेगी। एक बार वैक्सीन देने के बाद, यह एंटीजेन शरीर में एंटीबॉडी उत्पादन को उत्तेजित करेगा, जिससे प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावी रूप से कैंसर कोशिकाओं पर हमला कर सके।”
रूसी सरकार के अनुसार, इस वैक्सीन की लागत लगभग 3 लाख रूबल (करीब 2,869 अमेरिकी डॉलर) प्रति डोज़ होगी। हालांकि, यह रूसी नागरिकों को सरकारी खर्च पर मुफ्त उपलब्ध कराई जाएगी।
भारत और रूस के इन प्रयासों से क्या उम्मीदें?
भारत में महिलाओं के लिए कैंसर-रोधी वैक्सीन और रूस की mRNA कैंसर वैक्सीन दोनों ही कैंसर के खिलाफ लड़ाई में अहम कदम साबित हो सकते हैं। भारत में नई वैक्सीन से कैंसर की रोकथाम को बढ़ावा मिलेगा, जबकि रूस की तकनीक कैंसर के इलाज के लिए एक नई दिशा प्रदान कर सकती है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में इन दोनों वैक्सीन की सफलता कितनी प्रभावी साबित होती है और यह कैंसर के खिलाफ जंग में कितनी मदद कर पाती हैं।