नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) में इस महीने के तीसरे हफ्ते तक बड़े बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, बीजेपी अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा उसी समय करेगी, जब संसद का मौजूदा सत्र खत्म हो जाएगा, जो 4 अप्रैल को समाप्त हो रहा है। यह निर्णय आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर संगठन को और मजबूत करने के लिए लिया गया है।
नड्डा का कार्यकाल और नई उम्मीदें
वर्तमान बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) का कार्यकाल 2019 से जारी है, और यह तीन साल के लिए था, लेकिन उन्हें कई बार कार्यकाल बढ़ाया गया। आखिरी बार उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था ताकि 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में निरंतरता बनी रहे। अब, पार्टी संगठनात्मक चुनावों के बाद नए अध्यक्ष की घोषणा करने के लिए तैयार है।
राज्य अध्यक्षों की घोषणा होगी जल्द
सूत्रों के अनुसार, यूपी, कर्नाटक, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लिए भी अगले सप्ताह तक पार्टी अध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी। फिलहाल, 13 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हैं और उनके राज्य अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है। बाकी 19 राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा होते ही बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम की भी घोषणा कर देगी।
BJP के संविधान के अनुसार प्रक्रिया
बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया तभी शुरू की जाती है जब पार्टी के कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हों। इस समय तक कई राज्यों में अध्यक्षों के नाम तय हो चुके हैं, जिससे पार्टी अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा के करीब पहुंच गई है।
तमिलनाडु में बदलाव की संभावना
इस बीच, बीजेपी तमिलनाडु के अध्यक्ष के रूप में एक बड़ा बदलाव कर सकती है। खबरों के अनुसार, K. Annamalai, जो वर्तमान में बीजेपी तमिलनाडु के अध्यक्ष हैं, उनको पार्टी से बाहर किया जा सकता है, ताकि AIADMK के साथ गठबंधन को मजबूत किया जा सके। बताया जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में AIADMK नेता पलानीस्वामी से मुलाकात की थी, जिसके बाद गठबंधन को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई है।
Annamalai ने अपनी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा जताई है और कहा है कि अगर पार्टी को उनकी आवश्यकता हो, तो वह एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में भी काम करने के लिए तैयार हैं। हालांकि, उनके भविष्य को लेकर कई अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, जिसमें उनके वर्तमान पद पर बने रहने से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी लेने तक के विकल्प शामिल हैं।
अब सभी की नजरें बीजेपी की आगामी घोषणा पर हैं, जो पार्टी के भविष्य की दिशा तय करने वाली होगी। क्या पार्टी अगले लोकसभा चुनाव से पहले अपने संगठन को और मजबूत करेगी, या फिर यह बदलाव पार्टी के भीतर सत्ता के नए समीकरण लाएंगे? जल्द ही इसका उत्तर हमें मिल जाएगा