नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत पर पहुंचे। यह दौरा ऑपरेशन सिंदूर की जबरदस्त सफलता के बाद हुआ है, जिसमें भारतीय नौसेना ने अपनी रणनीतिक क्षमता और ताकत का प्रभावशाली प्रदर्शन किया।
राजनाथ सिंह ने INS विक्रांत पर तैनात नौसेना के अधिकारियों और जवानों से मुलाकात की, उन्हें ऑपरेशन की सफलता के लिए बधाई दी और उनका उत्साहवर्धन किया। यह दौरा नौसेना के मनोबल को और ऊंचा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
INS विक्रांत की भूमिका ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान INS विक्रांत ने अरब सागर के उत्तर में फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट के तहत अपनी कैरियर बैटल ग्रुप का नेतृत्व किया। इस समूह में 8 से 10 युद्धपोत शामिल थे, जिनमें विध्वंसक पोत और स्टेल्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स भी शामिल थे। यह तैनाती पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश देने के लिए थी कि यदि वह तनाव बढ़ाने की कोशिश करता है, तो भारतीय नौसेना उसके युद्धपोतों के साथ-साथ जमीनी ठिकानों को भी निशाना बना सकती है। परिणामस्वरूप, पाकिस्तानी नौसेना कराची नौसेना अड्डे से बाहर निकलने का साहस नहीं कर सकी और अंततः संघर्षविराम की मांग की।
INS विक्रांत से क्यों डरता है पाकिस्तान?
INS विक्रांत भारतीय नौसेना की एक सशक्त युद्ध इकाई है, जिसकी तैनाती मात्र से ही पाकिस्तान की नौसेना सतर्क हो जाती है। पाकिस्तान के पास 30 से भी कम युद्धपोत हैं, जबकि INS विक्रांत एक संपूर्ण एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप को संचालित करता है। यह पोत समुद्र में दुश्मन के जहाज़ों को ही नहीं, बल्कि अपने लड़ाकू विमानों और मिसाइलों के जरिए जमीन पर भी सटीक हमले करने में सक्षम है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसकी तैनाती ने पाकिस्तान को कराची बंदरगाह में ही सीमित रहने पर मजबूर कर दिया।
रक्षा मंत्री का INS विक्रांत दौरा – क्या है महत्व?
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह दौरा केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत की रक्षा नीति की दृढ़ता और तीनों सेनाओं के बीच समन्वय का प्रतीक है। इससे पहले वह श्रीनगर में सेना और भुज में वायुसेना के अधिकारियों से मिल चुके हैं। अब वह नौसेना के साथ भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर, यह संदेश देना चाहते हैं कि भारत की रक्षा नीति सभी मोर्चों पर मजबूत और तैयार है।
जानिए INS विक्रांत के बारे में सब कुछ
- INS विक्रांत को लगभग ₹20,000 करोड़ की लागत से बनाया गया है।
- इसे सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौसेना में शामिल किया गया था।
- यह पोत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित है, जो कि पत्तन, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
- इसका डिज़ाइन भारतीय नौसेना की इन-हाउस डिजाइन टीम ने तैयार किया है।
- यह 45,000 टन वजनी विमानवाहक पोत है, जिसमें 76% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
INS विक्रांत पर रक्षा मंत्री की मौजूदगी से यह साफ़ संकेत मिलता है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि सामरिक रूप से भी दृढ़ और आक्रामक नीति अपनाने के लिए तैयार है। ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारतीय नौसेना किसी भी परिस्थिति में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है — और INS विक्रांत उसकी शक्ति का प्रतीक बनकर उभरा है।