नई दिल्ली: भारत के ओडिशा राज्य में पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा एक ऐतिहासिक और धार्मिक घटना है, जिसे हर साल लाखों श्रद्धालु बड़े श्रद्धा भाव से मनाते हैं। यह नौ दिन का उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों के दर्शन और यात्रा के लिए प्रसिद्ध है। इस वर्ष रथ यात्रा 27 जून को प्रारंभ होगी, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पुरी जगन्नाथ मंदिर से निकालकर गुंडीचा मंदिर ले जाया जाएगा। रथ यात्रा का आयोजन आषाढ़ माह की द्वितीया तिथि (शुक्ल पक्ष) से शुरू होता है और यह दशमी तिथि (शुक्ल पक्ष) पर समाप्त होता है। इस वर्ष के रथ यात्रा को लेकर कुछ विशेष और रोचक तथ्य सामने आए हैं, जो इस आयोजन को और भी खास बनाते हैं।
प्रत्येक देवता के लिए अलग रथ
रथ यात्रा के दौरान, भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा के लिए अलग-अलग रथ बनाए जाते हैं।
- भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष कहलाता है।
- बलभद्र का रथ तलध्वज होता है।
- सुभद्रा का रथ दर्पदलन (या पद्मध्वज) कहा जाता है।
रथों का रंग और डिज़ाइन
प्रत्येक रथ की रंग योजना और सजावट देवता की विशेषता को दर्शाती है:
- भगवान जगन्नाथ का रथ पीला और लाल रंग का होता है।
- बलभद्र का रथ हरा और लाल रंग का होता है।
- सुभद्रा का रथ काला और लाल रंग का होता है।
हर साल नए रथ बनते हैं
यद्यपि रथ बहुत बड़े होते हैं, वे हर साल नए बनाए जाते हैं। इन रथों का निर्माण नीम और जामुन जैसे विशेष वृक्षों की लकड़ी से किया जाता है। इस निर्माण में धातु के नख, कील या धातु के हिस्सों का प्रयोग नहीं होता है। केवल लकड़ी की पेग, कोयर की रस्सियां और पारंपरिक काष्ठकला का उपयोग किया जाता है। रथ यात्रा के दौरान, श्रद्धालु इन रथों को मोटी रस्सियों से खींचते हैं। इसे अत्यधिक शुभ और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना जाता है। इस अनुष्ठान में लाखों लोग भाग लेते हैं, जो इसे ईश्वर का आशीर्वाद और आध्यात्मिक मुक्ति का एक उपाय मानते हैं।
रथ निर्माण प्रक्रिया
रथों का निर्माण वर्षों से चली आ रही पारंपरिक काष्ठकला के तहत किया जाता है। रथों के निर्माण का कार्य वंशानुक्रमिक कारीगरों द्वारा किया जाता है, जिनके पास यह जिम्मेदारी पीढ़ी दर पीढ़ी है। रथ बनाने से पहले कुछ धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें विशेष प्रकार के वृक्षों की लकड़ी काटने के लिए उपयुक्त समय और विधि का पालन किया जाता है।
पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा न केवल भारत के ओडिशा राज्य की सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि यह हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करती है। रथों के निर्माण की विशेष प्रक्रिया, उनके रंग, आकार और परंपरा ने इस यात्रा को एक अद्भुत और अद्वितीय आयोजन बना दिया है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है।