मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों मराठी अस्मिता को लेकर घमासान छिड़ा हुआ है। शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के मुखपत्र ‘सामना’ ने आज एक तीखे संपादकीय के माध्यम से राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधा है। सामना में फडणवीस के ‘रुदाली’ वाले बयान को मराठी जनभावनाओं का अपमान बताते हुए मराठी स्वाभिमान पर सीधा हमला करार दिया गया है।
फडणवीस की आलोचना पर सामना का पलटवार
संपादकीय में लिखा गया, “जो व्यक्ति मराठी जनसमूह को रुदाली कहता है, वह इस राज्य का मुख्यमंत्री रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।” सामना ने फडणवीस की टिप्पणी को उनकी हताशा और निराशा से उपजा हुआ बताया और कहा कि उन्होंने मराठी एकता के दबाव में झुकना स्वीकार कर लिया है।
“मराठियों का स्वाभिमान बिकाऊ नहीं”
सामना ने तीखा तंज कसते हुए लिखा, “फडणवीस और बीजेपी अपने कार्यक्रमों में रुदाली को पैसे देकर बुला सकते हैं, लेकिन मराठियों का स्वाभिमान कभी बिकाऊ नहीं रहा और न होगा।” संपादकीय में कहा गया कि “रुदाली तो मराठी संस्कृति में है ही नहीं। ऐसे में एक मराठी जनसभा को रुदाली कहकर बुलाना वैसा ही है, जैसे हुतात्मा चौक पर खड़े होकर ‘जय गुजरात’ के नारे लगाना।”
क्या कहा था फडणवीस ने?
फडणवीस ने शनिवार को शिवसेना (यूबीटी) और मनसे की साझा रैली पर तंज कसते हुए कहा था कि यह विजय रैली नहीं बल्कि ‘रुदाली दर्शन’ थी। उन्होंने दावा किया कि रैली में मराठी भाषा या मुद्दों की बजाय केवल सत्ता खोने और दोबारा पाने की बात की गई। फडणवीस ने यह भी कहा कि मुंबई के विकास में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने जो किया, उससे विपक्षी दलों को जलन हो रही है।
राज ठाकरे के तंज पर भी पलटवार
रैली के दौरान मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने मजाकिया लहजे में कहा था कि जो काम बालासाहेब ठाकरे नहीं कर सके, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया – यानी ठाकरे भाइयों को एक साथ लाना। इस पर भी फडणवीस ने कटाक्ष करते हुए कहा कि बालासाहेब अब उन्हें आशीर्वाद दे रहे होंगे।
‘रुदाली’ शब्द और उसका मतलब
‘रुदाली’ शब्द आमतौर पर राजस्थान में प्रचलित एक प्रथा को दर्शाता है, जिसमें पेशेवर महिलाएं शोक व्यक्त करने के लिए पैसे लेकर विलाप करती थीं। सामना ने इसे मराठी संस्कृति से पूरी तरह असंबंधित बताते हुए कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल मराठी जनसभा के लिए अपमानजनक और अस्वीकार्य है।
राजनीतिक गरमाहट बढ़ी
राज्य में आगामी BMC चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों को देखते हुए ठाकरे और राज ठाकरे की एकजुटता को राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। वहीं बीजेपी इस एकता को हल्के में नहीं ले रही है, और इसीलिए शब्दों के तीखे वार देखने को मिल रहे हैं।