काठमांडू: नेपाल में 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ युवाओं का आक्रामक विरोध प्रदर्शन जारी है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, यूट्यूब और एक्स जैसे प्रमुख प्लेटफॉर्म्स पर लगे इस बैन के बाद हुई हिंसा में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 300 से अधिक घायल हुए हैं। इस राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल के बीच गृह मंत्री रमेश लेखाक ने इस्तीफा दे दिया है, जो सरकार की कार्रवाई पर बढ़ती नाराजगी का संकेत है।
प्रधानमंत्री ओली का बयान और बैन वापस लेने का फैसला
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इन प्रदर्शनों के लिए “अनचाहे तत्वों” को दोषी ठहराया और कहा कि सरकार का मकसद सेंसरशिप नहीं, बल्कि सोशल मीडिया का नियमन था। लेकिन बढ़ते दबाव के चलते कैबिनेट ने उसी दिन सोशल मीडिया बैन को वापस ले लिया। सूचना और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ ने यह घोषणा की कि जल्द ही सोशल मीडिया सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी।
युवाओं के आंदोलन के केंद्र में हैं सुदान गुरुङ
इन प्रदर्शनों के पीछे युवाओं के एक प्रमुख नेता, 36 वर्षीय सुदान गुरुङ का नाम सबसे आगे आता है। सुदान हामि नेपाल नामक एक युवा-नेतृत्व वाली गैर-सरकारी संस्था के अध्यक्ष हैं। उन्होंने पहले इंस्टाग्राम पर बताया था कि उनकी संस्था ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन के लिए आधिकारिक अनुमति भी मांगी थी और छात्रों से स्कूल यूनिफॉर्म पहनकर और किताबें लेकर आने की अपील की थी, ताकि ये आंदोलन शांति का प्रतीक बने।
2015 के भूकंप में अपने बच्चे को खोने के बाद सुदान ने सामुदायिक कार्यों और आपदा राहत में सक्रिय भूमिका निभाई और युवाओं को संगठित करने का काम शुरू किया। वे “घोपा कैंप” जैसे आंदोलन के भी सूत्रधार रहे हैं, जो स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करता है। उनकी नेतृत्व क्षमता ने युवा पीढ़ी के डिजिटल युग के आक्रोश को संगठित और अहिंसक आंदोलन में बदला है।
देश भर में नए प्रदर्शनों का सिलसिला
मंगलवार को काठमांडू के कलंकी और बनेश्वर, तथा ललितपुर जिले के चपागाउँ-थेचो क्षेत्रों में छात्रों के नेतृत्व में नए प्रदर्शन शुरू हुए। प्रदर्शनकारियों ने सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ के ललितपुर स्थित आवास पर भी पथराव किया।
प्रदर्शनकारी नारे लगा रहे थे, “छात्रों की हत्या बंद करो,” और “केपी चोर, देश छोड़,” साथ ही भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ के खुमलटर स्थित घर और पूर्व पीएम शेरबहादुर देउबा के बुढानिलकंठ स्थित आवास के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया।
सरकार ने सोशल मीडिया बैन हटाया
कई स्थानों पर हुए हिंसक प्रदर्शन और दबाव के बाद नेपाल सरकार ने आखिरकार अपना फैसला वापस लिया। सूचना, संचार और प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुङ ने बताया कि कैबिनेट की आपात बैठक में इस प्रतिबंध को हटाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि सरकार ने ‘जनरेशन जेड’ की मांगों को ध्यान में रखते हुए सोशल मीडिया साइट्स को फिर से चालू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
यह उल्लेखनीय है कि 4 सितंबर को नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों द्वारा नेपाल सरकार के साथ पंजीकरण न कराने के कारण ये बैन लगाया था, जो अब वापस ले लिया गया है। नेपाल में सोशल मीडिया प्रतिबंध को लेकर शुरू हुआ विवाद युवाओं के बड़े आंदोलन में तब्दील हो गया है, जिसने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया है। सुदान गुरुङ जैसे युवा नेताओं के नेतृत्व में यह आंदोलन न केवल तकनीकी आजादी की लड़ाई है, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही की भी मांग करता है। आने वाले दिनों में नेपाल की राजनीतिक स्थिरता और सामाजिक एकजुटता पर इस संकट का गहरा प्रभाव पड़ने की संभावना है।