कौन हैं डॉ. केएन राजन्ना? जिन्हें पद्म पुरस्कार से किया गया सम्मानित

Dr. KS Rajanna
Dr. KS Rajanna

कौन हैं डॉ. केएन राजन्ना? जिन्हें पद्म पुरस्कार से किया गया सम्मानित

कौन हैं डॉ. केएन राजन्ना? जिन्हें पद्म पुरस्कार से किया गया सम्मानित

डा. केएस राजन्ना एक ऐसे हीरो हैं जो खुद तो दिव्यांग है लेकिन कई ऐसे बेसहारो और दिव्यांगजनो के मसीहा बन गए। 11 साल की उम्र में, दुर्भाग्यवश, डॉ. राजन्ना ने पोलियो के कारण अपने हाथ और पैर खो दिए और घुटनों के बल चलना सीख लिया। उन्होंने अपने शरीर की शारीरिक सीमाओं को अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रेरणा बनाया। उन्होंने खुद को किसी से कम नहीं मानते हुए विकलांग लोगों के लिए काम करने का फैसला किया। बेंगलुरु के रहने वाले डॉ. राजन्ना ने अपनी शारीरिक सीमाओं को अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा में बदल लिया। उनके पास मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा है। साथ ही 2002 पैरालिंपिक में, राजन्ना ने भारत को डिस्कस थ्रो में स्वर्ण और तैराकी में रजत पदक दिलाया। वह एक उद्यमी भी हैं और 350 से अधिक लोगों को रोजगार देते हैं, जिनमें से कई विकलांग व्यक्ति हैं। 2013 में, राजन्ना विकलांग व्यक्तियों के लिए कर्नाटक राज्य के पहले विकलांग आयुक्त बने। जिन्हे आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विकलांग व्यक्तियों के हितों के लिए लड़ने वाले समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. केएस राजन्ना को पद्मश्री से सम्मानित किया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार (9 मई) के दिन पद्म पुरस्कार विजेताओं को सम्मानित किया। उन्होंने कुल 132 लोगों का सम्मान किया। इसमें दिव्यांग समाजसेवी डॉ. केएस रजन्ना भी शामिल थे। जब वह अपना पुरस्कार लेने के लिए चलकर आए तो सभी उन्हें देखते रह गए। डॉ. रजन्ना ने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाया। इसके बाद जाकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सम्मान ग्रहण किया। सम्मान लेने के बाद वह सभी लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे। इस दौरान उनकी मदद के लिए एक जवान आगे आया, लेकिन डॉ. रजन्ना ने मदद लेने से मना कर दिया। यह पल उनके पूरे जीवन की कहानी बयां करता है। आपको बता दें कि समाजसेवा में आने के बाद उन्होंने लगातार काम किया और 2013 में सरकार ने उन्हें दिव्यांगों के लिए राज्य कमिश्नर बना दिया। कर्नाकट के बेंगलुरू के रहने वाले रजन्ना को तीन साल के लिए यह पद दिया गया था, लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्हें उनके पद से हटा दिया गया। उनकी जगह कमलाक्षी को यह जिम्मेदारी दी गई, लेकिन कर्नाटक सरकार के इस फैसले का जमकर विरोध हुआ। अहम यह था कि रजन्ना को इस बारे में जानकारी तक नहीं दी गई थी कि उन्हें हटाया गया है। इसके बाद सरकार ने दोबारा उन्हें यह पद दे दिया। अब उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया है।