नई दिल्ली: एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के भीषण हादसे के बाद शवों की कथित गलत पहचान और ब्रिटेन भेजे गए अवशेषों को लेकर उठे सवालों पर भारत सरकार ने मंगलवार को प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि वह ब्रिटिश अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है और परिजनों की चिंताओं को गंभीरता से लिया गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“हमने इस रिपोर्ट को देखा है और जैसे ही यह मामला हमारे संज्ञान में आया, हम ब्रिटेन की सरकार से लगातार संपर्क में हैं। हादसे के बाद, संबंधित अधिकारियों ने मान्य प्रोटोकॉल और तकनीकी आवश्यकताओं के अनुसार शवों की पहचान की थी। सभी मृतकों के अवशेषों को अत्यंत पेशेवर तरीके से और सम्मान के साथ संभाला गया। हम इस मामले में उठी किसी भी चिंता को दूर करने के लिए ब्रिटिश अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।”
डीएनए परीक्षण से खुली गड़बड़ी
यह बयान ऐसे समय आया है जब ब्रिटेन स्थित वकील जेम्स हीली ने दावा किया है कि उनके मुवक्किलों को भेजे गए शव, डीएनए जांच में उनके परिजनों के नहीं पाए गए। हीली के अनुसार, हादसे के बाद 12 से 13 शवों के अवशेष यूके भेजे गए, जिनमें कम से कम दो मामलों में डीएनए मेल नहीं हुआ।
हादसे में 241 लोगों की मौत
12 जून को एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो कि एक बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर थी, अहमदाबाद से दोपहर 1:30 बजे लंदन के लिए रवाना हुई थी। उड़ान भरने के कुछ ही मिनटों बाद, यह विमान मेघाणी नगर क्षेत्र में स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज के रिहायशी क्वार्टरों पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे भीषण आग लग गई। इस हादसे में 242 यात्रियों और क्रू में से 241 की मौत हो गई, जबकि सिर्फ एक व्यक्ति जीवित बचा।
ब्रिटेन की सरकार कर रही जांच
वहीं ब्रिटिश प्रशासन ने भी उन परिवारों की ओर से आई डीएनए रिपोर्ट्स की जांच शुरू कर दी है। भारत सरकार ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा है कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी पहलुओं की जांच की जा रही है और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता दी जाएगी।
यह मामला सिर्फ तकनीकी गलती नहीं, बल्कि मृतकों के सम्मान और परिजनों की संवेदनाओं से जुड़ा है। ऐसे में भारत और ब्रिटेन के लिए यह आवश्यक है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय और संतोष मिल सके।