12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया फ्लाइट 171 (बोइंग 787 ड्रीमलाइनर) क्रैश केस में हालिया जांच ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। प्रारंभिक रिपोर्ट में पाया गया कि टेकऑफ़ के कुछ ही सेकंड बाद कप्टन सुमीत सभरवाल द्वारा फ्यूल कटऑफ स्विच को ‘रन’ से ‘कटऑफ’ स्थिति में चले जाने से दोनों इंजन रुक गए, जिसके कारण विमान का थ्रस्ट गिर गया और वह घंटों ऊँचाई खोते हुए धराशायी हो गया।
स्विच कैसे बाए गया?
- विमान रनवे से ऊड़ान भरने के 30 सेकंड बाद ही फ्यूल कटऑफ स्विच पहले एक इंजन फिर दूसरे इंजन के लिए पलट गया। कुछ सेकंड तक स्टार्ट पोजिशन में रहे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
- कॉकपिट ऑडियो से पता चलता है कि दूसरे पायलट ने चौंककर पूछा, “क्यों स्विच ऑफ किया?”, लेकिन जवाब समझ में नहीं आया।
तकनीकी जांच और मानवीय कारक
- भारत की AAIB ने रिपोर्ट में कहा है कि इंजन, प्लेटफॉर्म और लॉकिंग मेकेनिज्म में कोई दोष नहीं था, यानी स्विच को बंद करना मानव हस्तक्षेप था।
- अमेरिकी अधिकारीयों, विमानन विशेषज्ञों और तकनीकी डैशबोर्ड जांच से यह संदेह पक्का होता दिख रहा है कि यह मानवीय त्रुटि या फिर जानबूझकर किया गया कदम हो सकता है।
बड़ा सवाल, कॉकपिट में कैमरा क्यों नहीं?
- इस दुर्घटना ने फिर से कॉकपिट वीडियो रिकॉर्डर की मांग ताजा कर दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिर्फ ऑडियो के अलावा वीडियो से स्थिति बेहतर स्पष्ट होती, यही कारण ड्रोन क्रैश और हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं में भी कैमरों की आवश्यकता होती दिखी है।
एफ़ेक्ट और अगला कदम
- DGCA ने सभी बोइंग 787 विमानों में फ्यूल स्विच लॉक की जांच का आदेश दिया है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
- एयर इंडिया ने सभी 33 ड्रीमलाइनर विमानों का तकनीकी चेक-पास कराया है और निकट भविष्य में उड़ानों की वापसी हो गई है।
यह एयर इंडिया क्रैश विमानन इतिहास में एक दुर्लभ और गहन केस बन गया है। प्रारंभिक रिपोर्ट मानव हस्तक्षेप की आशंका दिखाती है, लेकिन पूरी जांच अभी जारी है। आगे इस दुर्घटना पर मानव व्यवहार, तकनीकी कमियां और सुरक्षा मानकों की सघन समीक्षा होगी।