पटना: बिहार की राजधानी पटना में चल रहे बाढ़ संकट के बीच राज्य की राजनीति में पारिवारिक कलह और सियासी कटाक्ष की एक नई कड़ी जुड़ गई है। तेज प्रताप यादव ने अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी संजय यादव पर परोक्ष रूप से निशाना साधा है। अपने बयान में उन्होंने ऐसे लोगों को “जयचंद” की उपमा दी है जो पार्टी के भीतर रहते हुए भी भीतरघात कर रहे हैं।
‘जयचंद’ का नाम लेने से फिर जिंदा हो सकते हैं: तेज प्रताप
तेज प्रताप ने अपने बयान में किसी का नाम लिए बिना कहा,
“कुछ लोग ऐसे हैं जिनका नाम लेना उन्हें फिर से जिंदा करना है। ये ‘जयचंद’ हैं, जो राजनीति में सिर्फ फूट डालने के लिए आए हैं। ये आरएसएस और बीजेपी से जुड़े हुए लोग हैं, जो अब हर पार्टी में घुसपैठ कर रहे हैं।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप का इशारा सीधे-सीधे संजय यादव की ओर था, जो तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते हैं और पार्टी में रणनीति से लेकर मीडिया प्रबंधन तक की अहम भूमिका निभाते हैं।
पारिवारिक कलह की नई परतें खुलीं
तेज प्रताप यादव का यह बयान उस समय आया है जब उन्हें हाल ही में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से निष्कासित किया गया है। पारिवारिक कलह और पार्टी के अंदरूनी टकराव अब खुलकर सामने आ गए हैं। एक तरफ जहां तेजस्वी यादव खुद को राजद का एकमात्र नेतृत्वकर्ता साबित करने में लगे हैं, वहीं तेज प्रताप खुलकर बगावत के मूड में हैं।
बाढ़ राहत को लेकर भी दिखा टकराव
बिहार में बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्त है और पटना समेत कई जिलों में राहत कार्य जारी हैं। तेज प्रताप यादव ने खुद राहत शिविर लगाए हैं, स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया है और बाढ़ प्रभावित इलाकों में खुद मौजूद रहकर मदद कर रहे हैं। इसके विपरीत, तेजस्वी यादव और उनकी टीम पर केवल ‘प्रदर्शनकारी’ (performative) राहत कार्यों का आरोप लगाया जा रहा है।
क्या है संजय यादव की भूमिका?
संजय यादव को तेजस्वी यादव का रणनीतिक सलाहकार माना जाता है और उन्हें राजद की नई पीढ़ी की राजनीति का “मास्टरमाइंड” भी कहा जाता है। तेज प्रताप पहले भी कई बार संजय यादव पर पार्टी में फूट डालने और परिवार के बीच मतभेद बढ़ाने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि संजय यादव ने इस पर कभी सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं दी।
चुनाव से पहले संकट और सियासत
बिहार में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह पारिवारिक और राजनीतिक खींचतान राजद के लिए चुनौती बन सकती है। तेज प्रताप के इस ‘जयचंद’ बयान ने ना सिर्फ पारिवारिक दरारों को गहरा किया है, बल्कि पार्टी की एकता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
बाढ़ संकट के बीच तेज प्रताप यादव का संजय यादव पर परोक्ष हमला एक बड़ा सियासी संकेत है कि राजद के भीतर नेतृत्व को लेकर संघर्ष तेज हो गया है। आने वाले दिनों में यह टकराव और भी उग्र हो सकता है, खासकर जब चुनावी सरगर्मियां तेज होंगी। ऐसे में तेज प्रताप के बयान को केवल “व्यक्तिगत नाराज़गी” समझना, राजद की रणनीति के लिए भारी भूल हो सकती है।