एक नाटकीय राजनीतिक पैंतरेबाज़ी में, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी 3.0 सरकार के संभावित गठन से पहले समान नागरिक संहिता (UCC) के कार्यान्वयन को रोकने की कसम खाई है। इस कदम ने राजनीतिक परिदृश्य में जटिलता की एक नई परत जोड़ दी है क्योंकि पार्टियाँ आगामी राष्ट्रीय चुनावों के लिए कमर कस रही हैं।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में सहयोगी दलों का असर शपथग्रहण समारोह से पहले ही दिखने लगा है। एनडीए की अहम सहयोगियों में एक जेडीयू ने सेना में भर्ती योजना अग्निवीर और समान नागरिक संहिता को लेकर बड़ी बात कही है। जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि अग्निवीर स्कीम पर फिर से विचार करने की जरूरत है। त्यागी ने कहा कि इसके साथ ही समान नागरिक संहिता पर सभी राज्यों से बातचीत की जानी चाहिए। जेडीयू ने कहा कि अग्निवीर योजना का काफी विरोध हुआ। उन्होंने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में इसके विरोध का असर देखने को मिला।
जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि अग्निवीर योजना पर फिर से विचार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अग्निवीर योजना का चुनावों में विरोध हुआ था। इस विरोध का असर चुनाव नतीजों में देखने को मिला। कांग्रेस ने आम चुनाव में अग्निवीर को बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस ने साफ कहा था कि सत्ता में आने के बाद अग्निवीर योजना को कूड़े के डब्बे में डाल देंगे। वहीं, अग्निवीर योजना में जिन राज्यों में सबसे अधिक भर्ती हुई, उन राज्यों में बीजेपी की सीटें भी कम हुईं। हरियाणा में पार्टी की सीट 10 से घटकर 5 पर सिमट गई। इतना ही नहीं यहां पार्टी का वोट शेयर भी 58 फीसदी से घटकर 46 फीसदी हो गई। पंजाब में तो बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत पाई। राजस्थान में भी बीजेपी 24 से घटकर 14 ही रह गई।
यूसीसी पर जेडीयू का क्या है मत
त्यागी ने कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख आज भी स्पष्ट है। उन्होंने कहा कि यूसीसी को लेकर सभी राज्यों के साथ विचार किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि समान नागरिक संहिता पर राज्यों के विचारों को समझे जाने की जरूरत है। त्यागी ने कहा कि जेडीयू एक राष्ट्र, एक चुनाव के समर्थन में है।