Makar Sankranti Story: शर्त लगा लीजिए, क्या आपको पता था कि मकर संक्रांति का महाभारत से क्या है रिश्ता

Makar Sankranti Story: शर्त लगा लीजिए, क्या आपको पता था कि मकर संक्रांति का महाभारत से क्या है रिश्ता
Makar Sankranti Story: शर्त लगा लीजिए, क्या आपको पता था कि मकर संक्रांति का महाभारत से क्या है रिश्ता

महाभारत के युद्ध के अंतिम चरण में भीष्म पितामह शरशय्या पर पड़े हुए थे, और उनकी हालत अत्यंत गंभीर थी। भीष्म ने महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ते हुए अपनी अद्वितीय वीरता और कूटनीति का परिचय दिया था। लेकिन जब अर्जुन ने श्री कृष्ण के मार्गदर्शन से उनका वध किया, तो भीष्म को घायल करके शरशय्या पर लेटा दिया गया।

भीष्म को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसे उन्होंने स्वयं भगवान शिव से प्राप्त किया था। इसका अर्थ था कि वह अपनी इच्छा से किसी भी समय मृत्यु को प्राप्त कर सकते थे। लेकिन, एक खास बात यह थी कि भीष्म ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में एक संकल्प लिया। उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह तभी मृत्यु को प्राप्त करेंगे जब सूर्य उत्तरायण (उत्तर की ओर) होगा, क्योंकि वह मानते थे कि सूर्य का दक्षिणायन (दक्षिण की ओर) होना अशुभ होता है। दक्षिणायन के समय मृत्यु का मतलब अपशकुन और कष्टकारी होता है, जबकि उत्तरायण में सूर्य के उत्तर की ओर बढ़ने से शुभता और पुण्य की प्राप्ति होती है।

यह संकल्प भीष्म ने इसलिए लिया क्योंकि वह चाहते थे कि उनका अंत एक पुण्य और शुभ समय में हो। वह इस समय का इंतजार करते रहे और शरशय्या पर लेटे-लेटे अपने जीवन के अंतिम दिन बिताए। इस दौरान वे पांडवों और कौरवों के बीच हुए युद्ध, धर्म, न्याय और जीवन-मृत्यु पर गहरी बातों से मार्गदर्शन करते रहे।

भीष्म ने अपनी इच्छानुसार मृत्यु की प्रतीक्षा की, क्योंकि उन्होंने जीवन में कभी किसी को कष्ट नहीं दिया था और उन्हें यह विश्वास था कि उत्तरायण के समय मृत्यु पाने से उनका जीवन सम्पूर्ण और सफल रहेगा। अंततः, जब सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करते हुए 14 जनवरी को मकर संक्रांति का दिन आया, तब भीष्म पितामह ने अपनी अंतिम सांस ली और इस तरह उनका जीवन धर्म, त्याग और शौर्य का प्रतीक बन गया।

भीष्म का यह निर्णय न केवल उनके आत्मनिर्भर और योग्य व्यक्तित्व का प्रमाण था, बल्कि यह भी दिखाता था कि वे जीवन के प्रत्येक पहलू को अत्यंत गंभीरता से समझते थे। उनके इस अद्वितीय बलिदान और संकल्प ने भारतीय संस्कृति में उनकी महानता को अमर बना दिया।

Digikhabar Editorial Team
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