नई दिल्ली: 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना आठवां आम बजट पेश करेंगी। लोकसभा चुनाव से पहले पेश होने वाले इस बजट से हर वर्ग को उम्मीदें हैं, खासकर मध्यम वर्ग, जो लंबे समय से टैक्स राहत की मांग कर रहा है। इस बजट में कुछ अहम आर्थिक आंकड़ों पर सभी की नजरें होंगी, क्योंकि यह देश की वित्तीय सेहत और आर्थिक नीतियों की दिशा तय करेगा।
1. क्या होगा राजकोषीय घाटे का हाल?
राजकोषीय घाटा, यानी सरकारी खर्च और आय के बीच का अंतर, चालू वित्त वर्ष में 4.9% रहने का अनुमान है। सरकार की योजना है कि इसे वित्त वर्ष 2026 में 4.5% तक लाया जाए। बाजार इस बात पर नजर रखेगा कि सरकार इस लक्ष्य को कैसे हासिल करेगी, खासकर जब चुनावी खर्च बढ़ने की संभावना है।
2. सरकार का पूंजीगत व्यय: विकास की रफ्तार बनी रहेगी?
सरकार ने इस साल 11.1 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय की योजना बनाई थी। लेकिन लोकसभा चुनावों के कारण शुरुआती चार महीनों में धीमे सरकारी खर्च से इस पर असर पड़ा। अब देखना होगा कि वित्त मंत्री विकास परियोजनाओं के लिए कितनी राशि आवंटित करती हैं।
3. उधारी और कर्ज पर सरकार का फोकस
वित्त वर्ष 2025 में सरकार का सकल उधार बजट 14.01 लाख करोड़ रुपये था। सरकार राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेती है। आरबीआई के लाभांश में कमी की वजह से वित्त वर्ष 2026 में उधार का स्तर बढ़ सकता है।
4. कर राजस्व और जीएसटी: सरकार की कमाई का जरिया
इस साल सरकार ने 38.40 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व से जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 22.07 लाख करोड़ रुपये प्रत्यक्ष टैक्सों (आयकर और कॉरपोरेट टैक्स) से और 16.33 लाख करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष टैक्सों (जीएसटी, सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क) से आने का अनुमान है।
जीएसटी संग्रह में भी इस साल 11% की वृद्धि का अनुमान था, लेकिन पिछले तीन महीनों में इसमें गिरावट आई है। क्या बजट 2025 में सरकार जीएसटी दरों में कोई बदलाव करेगी या टैक्स ढांचे को सरल बनाने के लिए कोई नई घोषणा होगी?
5. नाममात्र जीडीपी और मुद्रास्फीति का संकेत
भारत की नाममात्र जीडीपी वृद्धि (मुद्रास्फीति सहित) 10.5% रहने का अनुमान है, जबकि वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4% है। बजट में घोषित नाममात्र जीडीपी लक्ष्य से अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति का संकेत मिलेगा।
6. सरकार की कमाई का दूसरा जरिया: लाभांश और विनिवेश
सरकार को आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से 2.33 लाख करोड़ रुपये तथा CPSEs (सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों) से 56,260 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में मिलने का अनुमान था। बजट 2025 में इन आंकड़ों पर नजर रहेगी, क्योंकि यह सरकारी खर्च के लिए अहम होंगे।
इसके अलावा, विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण के जरिए 50,000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना थी। सवाल यह है कि सरकार इस मोर्चे पर कितनी सफल रही और बजट 2026 में क्या नए विनिवेश लक्ष्य रखे जाएंगे?
क्या मध्यम वर्ग को मिलेगी टैक्स में राहत?
हर बार की तरह इस बजट से भी मध्यम वर्ग को इनकम टैक्स स्लैब में राहत की उम्मीद है। सरकार टैक्स छूट या डिडक्शन में बढ़ोतरी कर सकती है।