Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व

Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व
Chhath Puja 2025: नहाय-खाय में कद्दू-भात, व्रतियों के लिए सात्विक भोजन का महत्व

पटना: छठ पूजा का पहला दिन, जिसे “नहाय-खाय” कहा जाता है, व्रतियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रती स्नान कर अपने शरीर और मन की शुद्धि करते हैं और सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस दिन का प्रमुख व्यंजन है कद्दू-भात, जिसे पारंपरिक रूप से बनाया और खाया जाता है।

कद्दू-भात न केवल स्वादिष्ट व्यंजन है, बल्कि यह छठ पर्व की आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक भी है। कद्दू को धरती की देन माना जाता है और यह हल्का व सुपाच्य होने के कारण व्रती के तन-मन को पवित्र करता है। कद्दू में फाइबर भरपूर मात्रा में होता है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और लंबे समय तक पेट भरा रखने में मदद करता है। साथ ही, इसमें कम कैलोरी होने के कारण व्रत के दौरान भूख का एहसास कम होता है। कद्दू में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और पोषक तत्व व्रतियों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। वहीं, चावल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और लंबी पूजा व निर्जला व्रत के दौरान थकावट कम करता है।

नहाय-खाय के दिन मसालेदार और तैलीय भोजन से परहेज़ किया जाता है। कद्दू-भात हल्का, सुपाच्य और ऊर्जा देने वाला भोजन है, जो शरीर को आगे आने वाले खरना और अर्घ्य व्रत की तैयारी में मदद करता है। यह परंपरा सदियों पुरानी है और न केवल आस्था और धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि का भी माध्यम है। घरों में इसे साधारण चावल और चना दाल के साथ बनाया जाता है।

बिहार और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में नहाय-खाय के दिन कद्दू-भात की खुशबू पूरे मोहल्लों में फैलती है। महिलाएं घर की सफाई, पूजा की तैयारी और प्रसाद बनाने में व्यस्त रहती हैं। यह पर्व केवल आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि समाजिक जुड़ाव और सांस्कृतिक पहचान का भी माध्यम है। छठ पर्व का यह पहला दिन व्रतियों को शरीर और मन की तैयारी कराता है और अगले तीन दिनों के कठिन व्रत की नींव रखता है। यही कारण है कि नहाय-खाय में कद्दू-भात खाने की परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है जितनी सदियों पहले थी।

Pushpesh Rai
एक विचारशील लेखक, जो समाज की नब्ज को समझता है और उसी के आधार पर शब्दों को पंख देता है। लिखता है वो, केवल किताबों तक ही नहीं, बल्कि इंसानों की कहानियों, उनकी संघर्षों और उनकी उम्मीदों को भी। पढ़ना उसका जुनून है, क्योंकि उसे सिर्फ शब्दों का संसार ही नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगियों का हर पहलू भी समझने की इच्छा है।