Commonwealth Weightlifting Championship 2025: Sairaj Pardeshi ने 18 साल की उम्र में रचा इतिहास, कई रिकॉर्ड तोड़े

Commonwealth Weightlifting Championship 2025: Sairaj Pardeshi ने 18 साल की उम्र में रचा इतिहास, कई रिकॉर्ड तोड़े
Commonwealth Weightlifting Championship 2025: Sairaj Pardeshi ने 18 साल की उम्र में रचा इतिहास, कई रिकॉर्ड तोड़े

नई दिल्ली: भारत के लिए वेटलिफ्टिंग में एक नई उम्मीद बनकर उभरे 18 वर्षीय सैराज परदेशी ने कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 में जूनियर पुरुषों की 88 किग्रा श्रेणी में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने कुल 348 किलोग्राम (157 किग्रा स्नैच और 191 किग्रा क्लीन एंड जर्क) वजन उठाकर नए जूनियर रिकॉर्ड बनाए और पूरे वेटलिफ्टिंग समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा।

फ्लॉलेस प्रदर्शन, 6 में 6 लिफ्ट सफल

परदेशी ने प्रतियोगिता में सभी छह प्रयास सफलतापूर्वक पूरे किए, जो न सिर्फ उनके शारीरिक दमखम को दर्शाता है, बल्कि उनके मानसिक संतुलन और दबाव में संयम को भी साबित करता है। इतनी युवा उम्र में इस तरह की परिपक्वता और निरंतरता ने उन्हें एक “जनरेशन टैलेंट” की श्रेणी में खड़ा कर दिया है।

सीनियर वर्ग से आगे निकले सैराज

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि परदेशी का कुल वजन 348 किग्रा, सीनियर वर्ग के विजेता के 347 किग्रा से भी ज्यादा रहा। यह किसी भी जूनियर एथलीट के लिए दुर्लभ उपलब्धि है और इसने उनके भविष्य की संभावनाओं को और प्रबल कर दिया है।

तेज़ प्रगति का प्रतीक

इससे पहले इस साल एशियन जूनियर चैंपियनशिप में परदेशी ने 152 किग्रा स्नैच और 186 किग्रा क्लीन एंड जर्क के साथ कुल 338 किग्रा वजन उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था। मात्र कुछ महीनों में 10 किग्रा की छलांग लगाकर उन्होंने साबित कर दिया कि वह तेजी से सीनियर राष्ट्रीय रिकॉर्ड के पार निकल चुके हैं — जहां 89 किग्रा वर्ग के सीनियर रिकॉर्ड 150 किग्रा स्नैच और 337 किग्रा कुल हैं।

अब आगे क्या?

  • वर्ल्ड जूनियर चैंपियनशिप में सैराज परदेशी का अगला प्रदर्शन वैश्विक मंच पर एक बड़ा बयान हो सकता है।
  • अगर उन्हें सही दिशा, कोचिंग और अंतरराष्ट्रीय एक्सपोजर मिला, तो वह जल्द ही भारत की सीनियर टीम के अहम सदस्य बन सकते हैं।
  • भारतीय वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के सामने अब एक अहम सवाल है इस अद्भुत प्रतिभा को कैसे संरक्षित किया जाए और कब सीनियर स्तर पर उतारा जाए?

सैराज परदेशी ने न केवल पदक जीता है, बल्कि भारत को एक नई उम्मीद दी है। अगर वह इसी गति से आगे बढ़ते रहे, तो अगले तीन वर्षों में वह ओलंपिक स्तर के दावेदार बन सकते हैं। देश की निगाहें अब उनके अगले कदम पर टिकी हैं।