अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई विवादित आव्रजन नीति के तहत, अमेरिका से निर्वासित अपराधियों को एल साल्वाडोर की कुख्यात CECOT मेगा-जेल में भेजा जा रहा है। इस जेल को एल साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायिब बुकेले ने “दुनिया के सबसे कूल तानाशाह” के रूप में प्रचारित किया है। हाल ही में यहां सैकड़ों प्रवासियों को लाया गया, जिनमें कुछ अपराधी गैंग से जुड़े बताए जा रहे हैं, हालांकि अमेरिकी संघीय न्यायाधीश ने इन निर्वासन पर रोक लगाने का आदेश दिया था।
गैंग मेंबर्स पर कार्रवाई
बुकेले ने बताया कि निर्वासितों में वेनेजुएला के ट्रेन डी अरागुआ गैंग के 238 सदस्य और सल्वाडोरियन गैंग MS-13 के 23 सदस्य शामिल हैं, जिनमें दो शीर्ष नेता भी हैं। व्हाइट हाउस ने खुलासा किया कि इन गैंग सदस्यों को हिरासत में रखने के लिए अमेरिका ने लगभग 6 मिलियन डॉलर (करीब 50 करोड़ रुपये) का भुगतान किया है। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लीविट ने इसे अमेरिका में इन अपराधियों को कैद रखने की तुलना में अधिक किफायती बताया।
1798 का कानून और निर्वासन
ट्रंप प्रशासन ने निर्वासन के लिए 1798 के एलियन एनमीज एक्ट (Alien Enemies Act) का उपयोग किया, जो युद्धकाल के दौरान विदेशी नागरिकों को हिरासत में लेने या निर्वासित करने की शक्ति देता है।
CECOT जेल: अमानवीय स्थितियां
जनवरी 2023 में खुली CECOT जेल, राजधानी सैन साल्वाडोर से 74 किलोमीटर दूर टेकोलुका में स्थित है। इसे “कंक्रीट और स्टील का गड्ढा” कहा जाता है, जहां कैदियों को अमानवीय परिस्थितियों में रखा जाता है। जेल में 40,000 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन प्रति कैदी मात्र 0.58 वर्ग मीटर स्थान दिया जाता है, जो इंटरनेशनल रेड क्रॉस की अनुशंसा 3.4 वर्ग मीटर से काफी कम है।
संयुक्त राष्ट्र के पूर्व सदस्य मिगुएल सरे ने जेल की आलोचना करते हुए इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। यहाँ कैदियों को पर्याप्त वेंटिलेशन, चिकित्सा देखभाल और मुलाकात का अधिकार भी नहीं मिलता।
बुकेले का तर्क
बुकेले ने अमेरिका के साथ इस समझौते को राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने, जेल व्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने और खुफिया जानकारी जुटाने की दिशा में एक अहम कदम बताया है। अमेरिकी-एल साल्वाडोर साझेदारी को लेकर वैश्विक स्तर पर इस फैसले की कड़ी आलोचना भी हो रही है। अमेरिकी न्यायालय के आदेश के बावजूद इन निर्वासन को अमल में लाने के कारण ट्रंप प्रशासन की नीति पर भी गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं।