पटना: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपनी रणनीति तय करने के लिए बुधवार को पटना स्थित सदाकत आश्रम में कार्यसमिति (CWC) की विस्तारित बैठक आयोजित की। बैठक की अध्यक्षता पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने की। इस दौरान पार्टी ने ‘वोट चोरी’ के मुद्दे पर भाजपा और चुनाव आयोग के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का संकेत दिया।
बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, कोषाध्यक्ष अजय माकन, महासचिव केसी वेणुगोपाल, सचिन पायलट, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार सहित कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और विशेष आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार रणनीति, संगठनात्मक मजबूती और महागठबंधन के भीतर सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई। इसके अलावा, ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किए जाने की संभावना है।
पार्टी ने चुनाव आयोग द्वारा बिहार में चलाए जा रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) पर गंभीर आपत्ति जताई है और इसे लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। कांग्रेस का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए पार्टी समर्थकों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
बैठक से पहले राहुल गांधी ने बिहार में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली थी, जिसके जरिए उन्होंने भाजपा पर मताधिकार को कमजोर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर निष्पक्षता के उल्लंघन का आरोप लगाया और कहा कि वह उन लोगों की रक्षा कर रहे हैं जो लोकतंत्र को नष्ट कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने कांग्रेस के इन आरोपों को “गलत और निराधार” करार दिया है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने की संभावना है। वर्ष 2020 के चुनावों में राजद ने 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर 144 सीटों पर चुनाव लड़ा था। कांग्रेस को 70 सीटों पर लड़ने का मौका मिला, जिसमें से उसने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
राज्य की राजनीति में पिछले कुछ वर्षों में कई उलटफेर हुए हैं। 2020 के चुनाव के बाद जेडीयू ने एनडीए के साथ सरकार बनाई थी, लेकिन अगस्त 2022 में राजद के साथ महागठबंधन बनाकर सरकार बनाई गई। जनवरी 2024 में एक बार फिर जेडीयू ने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ गठबंधन कर लिया।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस पूरे राजनीतिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए आगामी चुनाव में पार्टी की भूमिका को स्पष्ट करने की कोशिश की गई। पार्टी का जोर इस बार ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को चुनावी एजेंडे में प्रमुखता से शामिल करने पर है।













