नई दिल्ली: दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार, 17 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और हाल ही में पारित वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 के लिए आभार व्यक्त किया। समुदाय ने इस कानून को अपनी लंबे समय से लंबित मांग बताया और प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के दृष्टिकोण में पूर्ण विश्वास जताया।
दाऊदी बोहरा समुदाय मुख्य रूप से पश्चिम भारत का मुस्लिम समुदाय है, जिसके सदस्य दुनियाभर के 40 से अधिक देशों में बसे हुए हैं। यह समुदाय अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक अल-दाई अल-मुतलक (पूर्णाधिकारी दूत) के नेतृत्व में चलता है, जिनका केंद्र पहले यमन और पिछले 450 वर्षों से भारत में स्थित है। समुदाय अपनी जड़ें मिस्र के फातिमी इमामों से जोड़ता है, जो पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज माने जाते हैं।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार से वक्फ अधिनियम को लेकर जवाब तलब किया। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी और वर्तमान वक्फ संपत्तियों की पहचान या वर्गीकरण की प्रक्रिया भी स्थगित रहेगी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह अधिनियम पर पूर्ण रोक नहीं लगाना चाहता, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि जब तक मामला न्यायिक विचाराधीन है, तब तक वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव न हो। अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनमें कहा गया है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के प्रति भेदभावपूर्ण है और उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल 2025 को इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके बाद यह कानून बना। संसद में इस कानून को लेकर दोनों सदनों में तीखी बहसें देखने को मिली थीं। उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल सीवी आनंद बोस से अपील की है कि वे हालिया हिंसा से प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले का दौरा स्थगित करें, जब तक कि क्षेत्र में सामान्य स्थिति और जनता का विश्वास बहाल नहीं हो जाता। मुख्यमंत्री ने पीड़ितों के लिए मुआवजा नीति की घोषणा भी की है। हाल की हिंसा की वजह वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर हुए विरोध-प्रदर्शन माने जा रहे हैं, जिसमें तीन लोगों की जान गई थी।