Delhi Riots Conspiracy Case: उमर खालिद, शरजील इमाम समेत 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

Delhi Riots Conspiracy Case: उमर खालिद, शरजील इमाम समेत 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज
Delhi Riots Conspiracy Case: उमर खालिद, शरजील इमाम समेत 9 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी 2020 दिल्ली दंगों से जुड़े ‘बड़ी साजिश’ (लार्जर कॉन्सपिरेसी) मामले में प्रमुख कार्यकर्ताओं उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य सात आरोपियों की जमानत याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं।

न्यायमूर्ति नवीन चावला और शलिंदर कौर की पीठ ने इन सभी की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 9 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे अब खारिज कर दिया गया है। अदालत ने संक्षेप में कहा, “सभी अपीलें खारिज की जाती हैं।”

इन आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज की गईं

  • उमर खालिद
  • शरजील इमाम
  • मोहम्मद सलीम खान
  • शिफा-उर-रहमान
  • अथर खान
  • मीरान हैदर
  • अब्दुल खालिद सैफी
  • गुलफिशा फातिमा

ये सभी आरोपी 2020 से जेल में बंद हैं, और निचली अदालत से जमानत खारिज होने के बाद हाईकोर्ट पहुंचे थे।

सरकार का पक्ष

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व करते हुए कहा कि यह मामला “स्वतःस्फूर्त दंगों” का नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित साजिश का है जिसका उद्देश्य देश को वैश्विक स्तर पर बदनाम करना था।

उन्होंने कहा, “अगर आप देश के खिलाफ कुछ करते हैं, तो जब तक आप बरी नहीं होते, जेल में रहना ही बेहतर है।”

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि ये दंगे “क्लीनिकल और पैथोलॉजिकल कॉन्सपिरेसी” का नतीजा थे, जिसमें CAA-NRC, बाबरी मस्जिद, ट्रिपल तलाक और कश्मीर जैसे मुद्दों के ज़रिए लोगों में डर और नफरत फैलाने की कोशिश की गई थी।

शरजील इमाम का बचाव

शरजील इमाम के वकील ने दलील दी कि इमाम इस कथित साजिश से पूरी तरह असंबंधित थे न समय, न स्थान और न ही सह-आरोपियों से उनका कोई जुड़ाव था। उन्होंने कहा कि इमाम की भाषणों या व्हाट्सएप चैट्स में कोई भी हिंसा भड़काने वाला तत्व नहीं है।

UAPA के तहत गंभीर आरोप

उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य पर UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) और IPC की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज हैं। उन पर फरवरी 2020 में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा का “मास्टरमाइंड” होने का आरोप है। इस हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

लंबी न्यायिक हिरासत और समानता की मांग

इमाम, खालिद और अन्य ने अपनी लंबी जेल में बंदी का हवाला देते हुए, उन सह-आरोपियों के साथ समानता (पैरिटी) की मांग की थी जिन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी है। ये याचिकाएं 2022 से लंबित थीं और अलग-अलग पीठों द्वारा समय-समय पर सुनी जा रही थीं।

पुलिस का जवाब

दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस गंभीर अपराध के मामले में “बेल रूल है, जेल एक्सेप्शन” जैसे सिद्धांत लागू नहीं हो सकते। उन्होंने ट्रायल में देरी के आरोपों को भी खारिज किया और कहा कि “त्वरित सुनवाई का अधिकार” कोई फ्री पास नहीं है।

Digikhabar Team
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