पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 1957 में पहली बार लोकसभा के सासंद बने थे. तब भारतीय जनता पार्टी का नाम था भारतीय जन संघ. उस समय पार्टी में केवल चार सांसद ही थे.
अटल बिहारी वाजपेयी 25 दिसंबर 1924 को गवालियर के मिडिल-क्लास स्कूल टीचर के घर पैदा हुए थे.
राजनीति में आने से पहले उन्होंने पत्रकारिता से शुरू किया था अपना करियर. वह अपनी कुशल भाषण कला की वजह से राजनीति में आए थे.
अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1947 में प्रचारक के रूप में राष्ट्रीय सेवक संघ को ज्वाइन किया था. भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लेने की वजह से वाजपेयी को 23 दिन के लिए जेल में रहना पड़ा था.
देश में इमरजेंसी के दौरान अटल बिहारी को भी विपक्षियों ने जेल भेज दिया था. 1977 में जनता पार्टी की सरकार में विदेश मंत्री बने थे अटल बिहारी तब संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में हिंदी में भाषण दिया था. वह इस पल को अपनी जिंदगी का सबसे सुखद पल मानते थे.
अटल की खुद की कोई संतान न होने की वजह से उन्होंने राजकुमारी कॉल की बेटी नमिता कॉल भट्टाचार्य को अपनी दत्तक पुत्री बनाया था. नमिता ने ही उनके पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी थी.
अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार संसद में कहा था कि ‘नेहरु जी के सिर के बल खड़ा हो कर योग करने से दृष्टि उल्टी हो गई है’.
1998 में राजस्थान के पोखराण में पहला न्यूक्लियर टेस्ट- ऑपरेशन शक्ति, अटल बिहारी के नेतृत्व में ही की गई थी.
पूरी जिंदगी अविवाहित रहे अटल बिहारी की जिंदगी में उनकी कॉलेज की दोस्त राजकुमारी कॉल के अलावा और कोई महिला नहीं थी.
अपने राजनीतिक जीवन में अटल बिहारी वाजपेयी 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए थे. 16 मई 1996 में पहली बार वह प्रधानमंत्री बने. लेकिन 13 दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई. बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
16 अगस्त 2018 में 93 साल की उम्र में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी का एम्स में लंबी बिमारी से जूझते हुए देहांत हो गया था.