
नई दिल्ली/ब्रसेल्स: हीरे के धंधे में ‘सुपर स्टार’ से फरार अपराधी बना मेहुल चोकसी आखिरकार बेल्जियम में गिरफ्त में आ गया है। पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से ₹13,000 करोड़ की लूट में आरोपी चोकसी की गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों – सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) – की सख्त मेहनत और दोबारा एक्टिव किए गए प्रत्यर्पण प्रयासों का नतीजा मानी जा रही है।
गौरतलब है कि मुंबई की अदालतों ने चोकसी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए थे। भले ही इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड नोटिस हटा लिया हो, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने हार नहीं मानी। उन्होंने प्रत्यर्पण के लिए फिर से कमर कस ली थी – और नतीजा सामने है।
हीरे की चमक में छुपा घोटाले का अंधेरा
चोकसी पर आरोप है कि उसने अपनी कंपनी गितांजलि जेम्स के माध्यम से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) और विदेशी क्रेडिट्स के जरिए PNB को भारी चूना लगाया। इस स्कैम में बैंक अधिकारियों से मिलीभगत के भी पक्के सबूत मिले हैं। गितांजलि ग्रुप के बैंकिंग हेड विपुल चितलिया और PNB के चीफ मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी के बयानों से घोटाले की पूरी तस्वीर सामने आई है।
बेल्जियम कैसे पहुंचा?
चोकसी लंबे वक्त से एंटीगुआ में रह रहा था, और उसके वकीलों ने दावा किया था कि वह ब्लड कैंसर से पीड़ित है और यात्रा करने में असमर्थ है। लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि अगर वो इलाज के नाम पर बेल्जियम पहुंच सकता है, तो भारत वापसी में क्या दिक्कत है?
कानूनी लड़ाई का अगला राउंड बेल्जियम में
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि बेल्जियम की अदालतों में प्रत्यर्पण प्रक्रिया लंबी और जटिल हो सकती है। चोकसी के वकील निश्चित रूप से सारे कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे ताकि extradition को टाला जा सके। लेकिन ED पूरी ताकत से चोकसी को Fugitive Economic Offender घोषित करवाने की कोशिशों में जुटी हुई है।
नीरव मोदी अभी भी लंदन की जेल में
इसी मामले में चोकसी का भांजा नीरव मोदी पहले से ही लंदन की जेल में बंद है और भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ जंग लड़ रहा है। चाचा-भांजे की इस जोड़ी ने मिलकर भारतीय बैंकिंग इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक को अंजाम दिया। अब देखना ये है कि क्या बेल्जियम से भारत लाकर चोकसी को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा सकेगा या ये मामला भी सालों तक कानूनी भूलभुलैया में उलझा रहेगा?