अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले संबोधन में डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की, “अमेरिका का सुनहरा युग अभी से शुरू हो रहा है।” हालांकि यह बयान उनके समर्थकों के लिए आशा और उत्साह का कारण बन सकता था, लेकिन ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए यह एक अंधेरे भविष्य की ओर इशारा करता है। ट्रंप की यह घोषणा उनकी नीतियों और विचारधाराओं का प्रतिबिंब है, जो समाज के सबसे संवेदनशील वर्गों के लिए गंभीर चिंताएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
ट्रंप ने एक नई नीति का एलान किया जिसमें यह कहा गया कि अमेरिकी सरकार केवल पुरुष और महिला लिंग को ही स्वीकार करेगी, जो ट्रांसजेंडर पहचान को नकारने और मिटाने का एक कदम प्रतीत होता है। यह कदम ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए एक बड़ा आघात हो सकता है, क्योंकि यह उनके अस्तित्व और पहचान को नकारने जैसा है। इस नीति से न केवल मानसिक और भावनात्मक असर पड़ेगा, बल्कि यह उनके अधिकारों और सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा बन सकता है।
ट्रंप का पहला कार्यकाल खत्म होने के बाद, उनके प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण कार्यकारी आदेश जारी किए। इनमें से एक आदेश था, जो अमेरिकी-मेक्सिको सीमा पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करने का था। यह आदेश उनके चुनावी वादों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम था, जिसमें उन्होंने बड़े पैमाने पर अवैध प्रवासियों को देश से बाहर निकालने और सीमा सुरक्षा को मजबूत करने की बात की थी।
इसके अलावा, ट्रंप ने बर्थराइट सिटीजनशिप को समाप्त करने का प्रस्ताव भी रखा। इस आदेश के अनुसार, केवल उन्हीं बच्चों को अमेरिकी नागरिकता मिलेगी जिनके कम से कम एक माता-पिता अमेरिकी नागरिक, कानूनी स्थायी निवासी या अमेरिकी सेना का सदस्य होंगे। यह कदम कुछ कन्सेर्वटिव द्वारा “वोक कल्चर” के खिलाफ उठाए गए एक कदम के रूप में देखा जा रहा है, जो विविधता, समानता और समावेशन पर आधारित नीतियों से असहमत हैं।
इसके साथ ही, ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से अमेरिका को बाहर करने का आदेश दिया, इस आरोप के साथ कि अमेरिका को चीन के मुकाबले ज्यादा वित्तीय योगदान देना पड़ता है। साथ ही, उन्होंने संघीय कर्मचारियों को फिर से पूरी तरह से कार्यालय लौटने का आदेश दिया, जो कोविड-19 महामारी के दौरान अपनाए गए रिमोट वर्क नीतियों को पलटने के रूप में देखा गया।
अंततः, ट्रंप ने एक और विवादित कदम उठाया, जिसमें उन्होंने पेरिस जलवायु समझौते से अमेरिका को बाहर करने का निर्णय लिया। यह वही निर्णय था जो उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में लिया था, और अब उन्होंने फिर से इसे दोहराया, यह तर्क देते हुए कि यह समझौता अमेरिका के आर्थिक हितों के खिलाफ है।
डोनाल्ड ट्रंप की यह घोषणाएँ और नीतियाँ उनके समर्थकों के लिए प्रगति और पुनर्निर्माण की प्रतीक हो सकती हैं, लेकिन आलोचकों के लिए ये एक ऐसे समाज का निर्माण करती हैं जिसमें समावेशिता, विविधता और समानता को नकारा जाता है। ट्रांसजेंडर छात्रों और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के लिए यह बदलाव भविष्य में और अधिक कठिनाइयाँ ला सकता है, क्योंकि उनके अधिकारों और पहचान के लिए सुरक्षा की खामियाँ हो सकती हैं।
इस बीच, देश में राजनीतिक और सामाजिक हलचलें तेज हो गई हैं, और यह देखना बाकी है कि ट्रंप की ये नीतियाँ अमेरिका की सामाजिक संरचना पर किस तरह का प्रभाव डालेंगी।