
पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी तापमान चढ़ने लगा है। इस बीच सी-वोटर के ताजा सर्वे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। सर्वे के अनुसार, 41% जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है, जबकि नीतीश कुमार को सिर्फ 18% लोग दोबारा सीएम बनाना चाहते हैं।
बीजेपी ने भले ही ऐलान कर दिया हो कि नीतीश कुमार ही एनडीए का चेहरा होंगे, लेकिन सर्वे के नतीजे कुछ और ही इशारा कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, नीतीश कुमार की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है, और जनता में उनकी विश्वसनीयता को लेकर संदेह बढ़ा है।
नीतीश की विश्वसनीयता पर सवाल
58% लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार की विश्वसनीयता में काफी कमी आई है।
13% का कहना है कि उनकी छवि कुछ हद तक कमजोर हुई है।
केवल 21% लोग अब भी मानते हैं कि उनकी छवि में कोई गिरावट नहीं आई है।
सर्वे में शामिल अधिकतर लोगों ने नीतीश को अपनी पहली पसंद नहीं बताया। वहीं, 15% लोगों ने प्रशांत किशोर, 8% ने बीजेपी के सम्राट चौधरी, और 4% ने चिराग पासवान को मुख्यमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार माना है।
सरकार से जनता नाराज!
सर्वे में सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह है कि 50% जनता सरकार से पूरी तरह नाराज है और बदलाव चाहती है।
22% लोग नाराज तो हैं, लेकिन बदलाव नहीं चाहते।
25% लोग सरकार के काम से संतुष्ट हैं और किसी बदलाव की जरूरत नहीं मानते।
हालांकि, सर्वे में किसी दल की संभावित सीटों का अनुमान नहीं दिया गया है, लेकिन नीतीश कुमार की गिरती लोकप्रियता एनडीए के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
विपक्ष की स्थिति
इस सर्वेक्षण में विपक्षी ‘महागठबंधन’ को केवल 5-7 लोकसभा सीटें मिलने की संभावना जताई गई है, जबकि एनडीए को 33-35 सीटें मिलने की उम्मीद है।
पिछले विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और 75 सीटें जीती थी। बीजेपी ने 74 सीटें, जेडीयू ने 43 सीटें, और कांग्रेस ने 19 सीटें जीती थीं।
बिहार चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या?
जब जनता से पूछा गया कि उनके लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा क्या होगा, तो बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा बनकर उभरी।
45% लोगों के लिए बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है।
11% लोगों के लिए महंगाई मुख्य चिंता है।
10% ने बिजली, पानी और सड़क को प्राथमिकता दी।
किसानों के मुद्दे और भ्रष्टाचार पर केवल 4% लोग वोट करना चाहते हैं।1
बेरोजगारी को लेकर जनता में नाराजगी इस बात का संकेत देती है कि युवा मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं।
नीतीश सरकार पर चुनावी दबाव
सर्वेक्षण ऐसे समय में आया है जब नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल में 7 बीजेपी विधायकों को मंत्री बनाया है। बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में संभावित हैं और एनडीए पहले ही नीतीश कुमार को अपना मुख्यमंत्री चेहरा घोषित कर चुका है।
लेकिन इस सर्वे के नतीजे एनडीए के लिए एक चेतावनी हो सकते हैं। तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर जनता की नाराजगी चुनावी नतीजों को अप्रत्याशित मोड़ दे सकती है। अब देखना होगा कि चुनाव तक बीजेपी-नीतीश की जोड़ी जनता के मूड को कितना बदल पाती है।
क्या है C Voter
C-Voter (सेंटर फॉर वोटिंग ओपिनियन एंड ट्रेंड्स इन इलेक्ट्रॉनिक्स रिसर्च) एक भारतीय जनमत सर्वेक्षण (Opinion Poll) और डेटा एनालिटिक्स एजेंसी है, जो चुनाव पूर्व और चुनाव बाद के सर्वेक्षण (Pre-Poll & Exit Polls) के लिए जानी जाती है। यह संगठन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर जनता की राय का विश्लेषण करके रिपोर्ट तैयार करता है।