गोशामहल विधायक टी. राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार, भाजपा ने उनके कारण को बताया बेबुनियाद

गोशामहल विधायक टी. राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार, भाजपा ने उनके कारण को बताया बेबुनियाद
गोशामहल विधायक टी. राजा सिंह का इस्तीफा स्वीकार, भाजपा ने उनके कारण को बताया बेबुनियाद

हैदराबाद: तेलंगाना की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है। गोशामहल से भाजपा विधायक टी. राजा सिंह का इस्तीफा भारतीय जनता पार्टी ने औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया है। यह निर्णय भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व और राजा सिंह के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान के समाप्त होने का संकेत है।

राजा सिंह ने अपना इस्तीफा तब दिया जब पार्टी ने वरिष्ठ नेता एन. रामचंदर राव को तेलंगाना प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया। पार्टी के इस फैसले से असंतुष्ट राजा सिंह ने स्वयं को दरकिनार महसूस किया, जबकि वे राज्य में भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत समर्थन रखते हैं।

भाजपा का आधिकारिक रुख

पार्टी की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राजा सिंह द्वारा उठाए गए मुद्दे भाजपा की कार्यशैली, विचारधारा और सिद्धांतों से मेल नहीं खाते। राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के निर्देशानुसार उनका इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है।

राजा सिंह की नाराजगी और आरोप

करीबी सूत्रों के अनुसार, राजा सिंह ने यह स्पष्ट किया है कि वह भाजपा को एक स्पष्ट हिंदुत्व की दिशा में ले जाना चाहते थे। वे पार्टी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह नेतृत्व करना चाहते थे। उनका मानना था कि पार्टी को उन नेताओं के हाथों में दिया जाना चाहिए जो विचारधारा से प्रतिबद्ध हों, न कि केवल छवि और पद के आधार पर चुने गए हों।

वीडियो संदेश में भावुक अपील

राजा सिंह ने एक वीडियो संदेश में कहा कि उन्होंने 11 साल पहले राष्ट्र और हिंदुत्व की सेवा के लिए भाजपा का दामन थामा था। उन्होंने पार्टी द्वारा तीन बार टिकट देने के लिए आभार प्रकट किया। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे दिल्ली तक उन लाखों कार्यकर्ताओं की आवाज नहीं पहुंचा पाए जो दिन-रात भाजपा सरकार बनाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस्तीफा किसी पद या लाभ के लिए नहीं है। उन्होंने कहा कि वे जीवन भर हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और सनातन धर्म की सेवा करते रहेंगे और हिंदू समाज के अधिकारों के लिए आवाज उठाते रहेंगे।

पार्टी की आंतरिक राजनीति पर सवाल

राजा सिंह ने कहा कि यदि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया होता, तो वे गो-रक्षा प्रकोष्ठ बनाते, हिंदुत्व आधारित अभियानों को तेज करते और पार्टी के भीतर से वीआईपी संस्कृति को समाप्त करते। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर एक गुट लगातार समर्पित कार्यकर्ताओं के राजनीतिक विकास में बाधा डाल रहा है।

राजनीतिक भविष्य पर अटकलें

राजा सिंह के इस्तीफे से भाजपा की शहरी रणनीति, खासकर हैदराबाद में, प्रभावित हो सकती है। वे कट्टर हिंदू मतदाताओं के बीच एक लोकप्रिय चेहरा हैं। अब यह देखना शेष है कि वे कोई नया संगठन बनाएंगे या किसी अन्य दक्षिणपंथी दल से जुड़ेंगे।

वहीं भाजपा आगामी 2028 विधानसभा चुनावों की तैयारी में संगठनात्मक बदलावों को प्राथमिकता दे रही है।

राजा सिंह का इस्तीफा तेलंगाना की राजनीति में एक नया मोड़ लाने वाला कदम साबित हो सकता है, जिसका असर राज्य की भाजपा इकाई और हिंदुत्व की राजनीति पर आने वाले वर्षों में देखने को मिल सकता है।