प्रयागराज: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर महा कुंभ 2025 का भव्य समापन हुआ। 13 जनवरी से शुरू हुए इस ऐतिहासिक आयोजन में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। 45 दिनों तक चले इस विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में इस बार 65 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। यह संख्या 2019 के अर्धकुंभ में शामिल हुए 24 करोड़ श्रद्धालुओं की तुलना में कहीं अधिक है।
योगी सरकार के प्रयास से ऐतिहासिक आयोजन
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस वर्ष का महाकुंभ न केवल एक आध्यात्मिक पर्व बना, बल्कि यह राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाला आयोजन भी साबित हुआ। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार, इस आयोजन से 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है, जिससे स्थानीय व्यापार और उद्योग को नया जीवन मिलेगा।
144 वर्षों बाद पड़ा दुर्लभ योग
महा कुंभ का यह आयोजन ऐतिहासिक भी है क्योंकि यह हर 144 वर्षों में आने वाले दुर्लभ ग्रह संयोग में संपन्न हुआ। आमतौर पर हर 12 साल में कुंभ का आयोजन प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में चक्रवर्ती क्रम से होता है, लेकिन इस बार का महा कुंभ एक विशिष्ट खगोलीय घटना के कारण और भी खास बन गया। इस दुर्लभ संयोग ने दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालुओं को प्रयागराज खींच लाया।
इन लोगों को मिला लाभ
महा कुंभ 2025 ने स्थानीय व्यापारियों, कंपनियों और निवेशकों के लिए बड़े अवसर पैदा किए हैं। इस आयोजन के जरिए FMCG, टेक्नोलॉजी, वित्त और अन्य उद्योगों की बड़ी कंपनियों ने व्यापार के नए आयाम तलाशे।
अगर पिछली कुंभ मेलाओं की बात करें, तो:
- 2013 के कुंभ मेले में ₹12,000 करोड़ का आर्थिक प्रभाव पड़ा था, जबकि खर्च ₹1,017 करोड़ हुआ था।
- 2019 के कुंभ मेले में ₹1.2 लाख करोड़ की कमाई हुई, जबकि खर्च ₹2,112 करोड़ था।
- 2025 के महा कुंभ के लिए ₹7,500 करोड़ से अधिक का बजट रखा गया है और अनुमान है कि इससे ₹3 लाख करोड़ का आर्थिक लाभ होगा।
विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और आर्थिक आयोजन
यह महा कुंभ न केवल आस्था और संस्कृति का महासंगम था, बल्कि यह दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक और आध्यात्मिक आयोजन भी साबित हुआ। महाशिवरात्रि के अंतिम शाही स्नान के साथ यह महा आयोजन समाप्त हो गया, लेकिन इसका प्रभाव वर्षों तक उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था और आध्यात्मिक विरासत पर बना रहेगा।