ग्रैंड चेस टूर में गुकेश का जलवा, मैग्नस कार्लसन को फिर से हराया, लगातार पांचवीं जीत

ग्रैंड चेस टूर में गुकेश का जलवा, मैग्नस कार्लसन को फिर से हराया, लगातार पांचवीं जीत
ग्रैंड चेस टूर में गुकेश का जलवा, मैग्नस कार्लसन को फिर से हराया, लगातार पांचवीं जीत

नई दिल्ली: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। ग्रैंड चेस टूर के रैपिड प्रारूप में राउंड 6 के मुकाबले में उन्होंने पूर्व विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को मात देकर न केवल अपनी श्रेष्ठता साबित की, बल्कि टूर्नामेंट में एकल बढ़त भी हासिल कर ली। गुकेश ने अब तक लगातार पांच मुकाबले जीतकर शानदार फॉर्म का प्रदर्शन किया है।

मैच से पहले कार्लसन ने गुकेश की क्षमताओं पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि गुकेश ने रैपिड और ब्लिट्ज प्रारूपों में कुछ खास नहीं किया है और उनसे इस टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद नहीं की जा सकती। लेकिन यह बयान कार्लसन के लिए उल्टा पड़ गया, क्योंकि गुकेश ने जबरदस्त तैयारी और आत्मविश्वास के साथ उन्हें हराया।

कैसे पलटी बाजी?

मैच की शुरुआत में कार्लसन ने English Opening खेलते हुए मजबूत शुरुआत की और दोनों खिलाड़ी तेज गति से चालें चलते रहे। 23वीं चाल में कार्लसन ने b-पॉन को आगे बढ़ाने का फैसला किया, जो गेम का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इसके बाद गुकेश ने सटीक चालों की झड़ी लगा दी और स्थिति को अपने पक्ष में कर लिया।

कार्लसन ने माना—‘मैं बुरी तरह हारा’

हार के बाद कार्लसन ने Take Take Take से बातचीत में अपनी निराशा छिपा नहीं सके। उन्होंने कहा:

“मैं पूरे टूर्नामेंट में खराब खेल रहा हूं और इस बार मुझे इसकी सजा मिल गई। मुझे लगा कि मेरी स्थिति बहुत अच्छी थी, लेकिन गुकेश ने c6 से स्थिति को खोल दिया और समय की कमी में मैं इसे संभाल नहीं पाया। गुकेश ने बेहतरीन चालें चलीं और मौके का पूरा फायदा उठाया। शायद मेरे पास एक ड्रॉ निकालने का मौका था, लेकिन मैंने खेल जारी रखने का फैसला किया और कुछ मिनट बाद ही मैं पूरी तरह हार गया। पूरी तरह मेरी गलती थी, लेकिन गुकेश को इसका पूरा श्रेय जाता है।”

ब्लिट्ज में दोबारा आमना-सामना

गुकेश और कार्लसन के बीच अब ब्लिट्ज प्रारूप में दो मुकाबले और होने हैं। इन मैचों में कार्लसन वापसी की कोशिश करेंगे, जबकि गुकेश अपनी लय को बरकरार रखना चाहेंगे।

क्या कहता है यह प्रदर्शन?

गुकेश का यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि भारतीय युवा अब शतरंज की विश्व स्तर की प्रतिस्पर्धा में न केवल मौजूद हैं, बल्कि शीर्ष खिलाड़ियों को चुनौती देने और हराने की क्षमता भी रखते हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया कि उम्र और अनुभव की कमी, आत्मविश्वास और तैयारी के सामने कोई मायने नहीं रखती।