‘हेडमास्टर की तरह डांटते हैं और धमकाते हैं’ Mallikarjun Kharge ने Jagdeep Dhankhar पर लगाया पक्षपात का आरोप, मचा बवाल

'हेडमास्टर की तरह डांटते हैं और धमकाते हैं' Mallikarjun Kharge ने Jagdeep Dhankhar पर लगाया पक्षपात का आरोप, मचा बवाल
'हेडमास्टर की तरह डांटते हैं और धमकाते हैं' Mallikarjun Kharge ने Jagdeep Dhankhar पर लगाया पक्षपात का आरोप, मचा बवाल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ पर तीखा हमला किया। खड़गे ने आरोप लगाया कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ संसद में सबसे बड़ा व्यवधान पैदा करने वाले व्यक्ति हैं और उनका व्यवहार पूरी तरह से पक्षपाती है। उन्होंने दावा किया कि धनखड़ का आचरण नियमों और परंपराओं के विपरीत है, और वह विपक्षी नेताओं को असमर्थ और गलत तरीके से निशाना बना रहे हैं। खड़गे ने यह भी कहा कि 1952 से अनुच्छेद 67 के तहत कोई प्रस्ताव नहीं लाया गया, क्योंकि किसी भी उपराष्ट्रपति ने इस तरह की राजनीति नहीं की थी, जैसे कि धनखड़ कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि धनखड़ का आचरण उनके पद की गरिमा को नुकसान पहुंचा रहा है और वह एक स्कूल के प्रधानाध्यापक की तरह व्यवहार कर रहे हैं, जो अनुभवी विपक्षी नेताओं को उपदेश दे रहे हैं और उन्हें बोलने से रोक रहे हैं।

इस बीच, विपक्षी दलों ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ एक ऐतिहासिक नोटिस पेश किया, जिसमें उन्हें राज्यसभा के अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की गई। यह नोटिस कांग्रेस नेता जयराम रमेश और नसीर हुसैन के नेतृत्व में तैयार किया गया था और इसे कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, डीएमके, आप, समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों के 60 सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित किया गया था। विपक्ष का यह कदम इस बात का संकेत था कि वे धनखड़ के पक्षपाती व्यवहार को लेकर गंभीर हैं और इस मुद्दे को संसद में उठाना चाहते हैं।

राज्यसभा के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी मौजूदा उपराष्ट्रपति और सभापति को हटाने के लिए प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव के तहत, अनुच्छेद 67 के अनुसार, ऐसे प्रस्ताव के लिए 14 दिन का नोटिस जरूरी होता है और इसे उपसभापति द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। हालांकि, विपक्ष के पास 243 सदस्यीय राज्यसभा में इसे पारित करने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है, क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 121 सीटें हैं, जबकि विपक्ष के पास केवल 86 सीटें हैं। वाईएसआरसीपी, बीजेडी, एआईएडीएमके, बीआरएस और बीएसपी जैसे गैर-गठबंधन दलों के पास 24 सीटें हैं, जिनका प्रभाव इस मुद्दे पर पड़ सकता है।

विपक्षी नेताओं ने यह स्पष्ट किया कि भले ही उनके पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है, फिर भी उनका यह कदम संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए एक मजबूत संदेश भेजता है। उनका मानना था कि इस प्रस्ताव के जरिए उन्होंने संसद में धनखड़ के पक्षपाती रवैये के खिलाफ अपनी आवाज उठाई है। दूसरी ओर, भाजपा ने इस प्रस्ताव को एक राजनीतिक स्टंट करार दिया और कहा कि यह सदन में विफल हो जाएगा। भाजपा का कहना था कि यह कदम विपक्ष की निराशा का परिणाम है, और वह इसे किसी भी कीमत पर सफल होने नहीं देंगे।

इस विवाद ने सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ते तनाव को और भी उजागर किया है। खड़गे की तीखी टिप्पणियों ने यह संकेत दिया है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल अब सत्तारूढ़ पार्टी को जवाबदेह ठहराने के लिए नए प्रयास कर रहे हैं। यह घटनाक्रम इस बात की ओर इशारा करता है कि संसद में विपक्ष का गुस्सा और संघर्ष बढ़ रहा है, खासकर तब जब वे मानते हैं कि उनके मुद्दों को उचित महत्व नहीं दिया जा रहा है।

Digikhabar Editorial Team
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