
मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार को लेकर शुक्रवार को एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया, जब एक महिला IPS अधिकारी के साथ उनकी कथित तीखी बातचीत का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस वीडियो में पवार को एक पुलिस अधिकारी को अवैध मुर्रम खुदाई की कार्रवाई रोकने का आदेश देते हुए सुना गया, जिससे राजनीतिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
क्या है मामला?
विवाद की शुरुआत सोलापुर से हुई, जहां पुलिस अवैध मुर्रम खुदाई के खिलाफ अभियान चला रही थी। उसी दौरान उपमुख्यमंत्री पवार का एक कथित वीडियो कॉल सामने आया, जिसमें वह उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (SDPO) अंजना कृष्णा को कहते सुने गए:
“सुनो, मैं डिप्टी चीफ मिनिस्टर बोल रहा हूं और आपको आदेश देता हूं कि वो रुकवाओ।”
हालांकि, महिला अफसर ने पहले उनकी आवाज़ पहचानने से इनकार कर दिया। इस पर पवार ने कहा:
“मैं तेरे ऊपर एक्शन लूंगा।”
इसके बाद पवार ने कथित तौर पर वीडियो कॉल कर उनसे कहा:
“अब तो चेहरा पहचान लिया होगा न?”
यह पूरी बातचीत कथित रूप से एक NCP कार्यकर्ता के फोन पर हुई, जो घटनास्थल पर मौजूद था। इस दौरान पवार द्वारा खुदाई रुकवाने के लिए अफसर पर दबाव डालने की बात सामने आई।
अजित पवार की सफाई
वीडियो वायरल होने के बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया, जिसके बाद अजित पवार ने प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सफाई दी।
उन्होंने लिखा:
“सोशल मीडिया पर पुलिस अधिकारियों के साथ मेरी बातचीत के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मेरी मंशा कानून व्यवस्था में हस्तक्षेप करने की नहीं थी, बल्कि यह सुनिश्चित करने की थी कि ज़मीन पर स्थिति शांत बनी रहे और आगे न बढ़े।”
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें पुलिस बल और विशेष रूप से महिला अधिकारियों के साहस और समर्पण के प्रति गहरा सम्मान है।
“अवैध गतिविधियों पर सख्ती जारी रहेगी”
पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी सरकार पारदर्शी शासन के लिए प्रतिबद्ध है और अवैध रेत और मुर्रम खनन जैसी गतिविधियों पर सख्ती से कार्रवाई जारी रहेगी।
“मैं पारदर्शी शासन के लिए प्रतिबद्ध हूं और हर अवैध गतिविधि, जिसमें अवैध रेत खनन भी शामिल है, कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा।”
राजनीतिक हलकों में प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर अजित पवार पर प्रशासनिक हस्तक्षेप और महिला अफसर के प्रति असम्मानजनक व्यवहार का आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर भी इस वीडियो को लेकर पवार की आलोचना की जा रही है।
यह मामला ना सिर्फ राजनीतिक गरमाहट का कारण बन गया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि को पुलिस प्रशासन में सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार है, खासकर जब कार्रवाई किसी अवैध कार्य के खिलाफ हो रही हो? अब देखना यह है कि राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले में आगे क्या रुख अपनाते हैं।