राजनीति में परिवारवाद का बढ़ता प्रभाव, ADR ने संसद और विधानसभाओं में 21% नेताओं की खोल दी पोल

राजनीति में परिवारवाद का बढ़ता प्रभाव, ADR ने संसद और विधानसभाओं में 21% नेताओं की खोल दी पोल
राजनीति में परिवारवाद का बढ़ता प्रभाव, ADR ने संसद और विधानसभाओं में 21% नेताओं की खोल दी पोल

नई दिल्ली: देश में राजनीति में परिवारवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। यह खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक ताजा रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में 21% नेता ऐसे हैं जिनका संबंध राजनीतिक परिवारों से है।

लोकसभा में सबसे अधिक पारिवारिक नेता

रिपोर्ट के मुताबिक,

  • लोकसभा में 24% सांसद ऐसे हैं जिनका पारिवारिक इतिहास राजनीति से जुड़ा हुआ है।
  • राज्यसभा में यह आंकड़ा 16% है।
    यह दर्शाता है कि राजनीति में परिवारों का प्रभाव मजबूत होता जा रहा है।

बढ़ती प्रवृत्ति: 2014 से 2019 तक बढ़ा पारिवारिक उल्लेख

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि:

  • 2014 के आम चुनाव में 35% सांसदों ने अपने परिवार के राजनीतिक इतिहास का उल्लेख किया था।
  • जबकि 2019 में यह संख्या बढ़कर 43% हो गई।
    इससे स्पष्ट है कि राजनीतिक विरासत को अब एक साख और चुनावी ताकत के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

ADR की सिफारिशें: योग्यता को मिले प्राथमिकता

ADR ने राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे उम्मीदवारों के चयन में

  • योग्यता,
  • ईमानदारी,
  • और जन सेवा का रिकॉर्ड
    को पारिवारिक संबंधों से ऊपर रखें।

रिपोर्ट में कहा गया है:

“लोकतंत्र तभी मजबूत बनेगा जब राजनीति में सभी वर्गों को समान अवसर मिलेंगे और पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाएगा।”

लोकतंत्र पर पड़ता असर

परिवारवाद की यह प्रवृत्ति केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है। इसका असर

  • जनता की भागीदारी,
  • युवा नेताओं के अवसर,
  • और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता
    पर भी पड़ता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि यह रुझान यूं ही जारी रहा, तो आम जनता का राजनीति से विश्वास उठना शुरू हो सकता है। ADR की यह रिपोर्ट एक महत्वपूर्ण चेतावनी है कि देश की राजनीति में वंशवाद और परिवारवाद कितनी गहराई से जड़ें जमा चुके हैं। अब वक्त आ गया है कि राजनीतिक दल आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करें और नई प्रतिभाओं को आगे लाने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।

Digikhabar Team
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