नई दिल्ली। भारत सरकार ने कनाडा की एक आयोग द्वारा जारी उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है, जिसमें भारत और चीन पर कनाडा के चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया गया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस रिपोर्ट को नकारते हुए उल्टा कनाडा पर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है।
MEA ने दिया करारा जवाब
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, “हमने कथित हस्तक्षेप से जुड़े एक रिपोर्ट को देखा है। सच्चाई यह है कि कनाडा ही लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करता रहा है। इससे न सिर्फ अवैध प्रवास को बढ़ावा मिला है, बल्कि संगठित अपराध भी बढ़े हैं। हम इस रिपोर्ट के भारत को लेकर लगाए गए आरोपों को खारिज करते हैं और उम्मीद करते हैं कि अवैध प्रवास को बढ़ावा देने वाले समर्थन तंत्र को अब और न रोका जाए।”
MEA ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की छवि खराब करने की ऐसी कोशिशें बेबुनियाद हैं और भारत लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान करता है।
कनाडा की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
कनाडा की फॉरेन इंटरफेरेंस कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कनाडा के चुनावों में विदेशी दखल कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह अब पहले से ज्यादा बढ़ गया है और इसके तौर-तरीकों में बदलाव आया है। रिपोर्ट में भारत को चुनावी दखलअंदाजी करने वाले देशों में चीन के बाद दूसरे स्थान पर रखा गया है।
123 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया कि भारत और चीन दोनों वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका निभाने वाले देश हैं, और इन दोनों के बीच कुछ मामलों में सहयोग भी हुआ है, लेकिन भारत के विदेश नीति को लेकर उसके अपने अलग हित हैं, जो उसके कथित हस्तक्षेप की वजह बनते हैं।
रिपोर्ट में भारत पर कनाडा में दुष्प्रचार फैलाने का आरोप लगाया गया, खासकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर। हालाँकि, रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि निज्जर की हत्या में किसी विदेशी सरकार की संलिप्तता का कोई ठोस सबूत नहीं मिला।
भारत और चीन दोनों ने की रिपोर्ट की आलोचना
भारत की ही तरह चीन ने भी इस रिपोर्ट की कड़ी निंदा की और इसे ‘बेबुनियाद आरोपों’ से भरी बताया। चीन ने कहा, “न तो हमने कभी कनाडा के आंतरिक मामलों में दखल दिया है और न ही इसमें कोई रुचि रखते हैं।”
कूटनीतिक विवाद और राजनयिक टकराव
रिपोर्ट में यह भी जिक्र किया गया कि कनाडा ने अक्टूबर 2023 में छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित किया था और उन्हें “एजेंट” करार दिया था। इसके जवाब में भारत ने भी छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और कनाडा पर बेबुनियाद आरोप लगाने और भारतीय उच्चायुक्त को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।
भारत-कनाडा रिश्तों पर असर
भारत और कनाडा के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों से तनावपूर्ण बने हुए हैं। खासकर खालिस्तानी चरमपंथियों को लेकर कनाडा के ढीले रवैये ने दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा की है। भारत का आरोप है कि कनाडा में चरमपंथियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है, जिससे भारत की संप्रभुता को खतरा है।
क्या होगा आगे?
भारत के सख्त रुख और इस रिपोर्ट को नकारने के बाद यह साफ है कि भारत-कनाडा संबंधों में और तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में देखना होगा कि क्या कनाडा अपने बेबुनियाद आरोपों पर कायम रहेगा या भारत के कड़े रुख के बाद कोई सफाई देगा।
फिलहाल, भारत यह स्पष्ट कर चुका है कि वह अपने आंतरिक मामलों में किसी भी देश के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा।