नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच होने वाली द्विपक्षीय टेस्ट सीरीज का नाम अब से एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी रखा जाएगा। यह ऐतिहासिक घोषणा दोनों क्रिकेटिंग दिग्गजों, भारत के सचिन तेंदुलकर और इंग्लैंड के जेम्स एंडरसन के सम्मान में की गई है। इस ट्रॉफी का उद्देश्य दोनों देशों के महान खिलाड़ियों के योगदान को सलाम करना है।
ट्रॉफी के नामकरण के मौके पर सचिन तेंदुलकर ने Cricbuzz को दिए एक विशेष साक्षात्कार में अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने बताया कि यह सम्मान पाकर उन्हें अत्यंत खुशी हुई, लेकिन इससे पहले उन्होंने पाटौदी परिवार से बातचीत कर पाटौदी विरासत को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी ली।
ट्रॉफी के नाम की जानकारी कब मिली?
सचिन ने बताया कि पाटौदी ट्रॉफी के रिटायर होने के बाद उन्हें कुछ महीनों बाद पता चला कि बीसीसीआई और इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड ने नया ट्रॉफी शुरू करने का फैसला किया है और इसका नाम उनके और एंडरसन के नाम पर रखा जाएगा।
पाटौदी विरासत को कैसे रखा जिंदा?
सचिन ने पाटौदी परिवार से बात की और बीसीसीआई के सचिव जय शाह तथा इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों से विचार-विमर्श कर नए सुझाव दिए। परिणामस्वरूप ‘पाटौदी मेडल ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना की गई है, जो जीतने वाले कप्तान को दी जाएगी। इस मेडल का मकसद पाटौदी की कप्तानी और नेतृत्व की महानता को याद रखना है।
ट्रॉफी के साथ पाटौदी विरासत को भी मिलेगा सम्मान
सचिन ने कहा, “मुझे खुशी है कि सिर्फ ट्रॉफी का नाम हमारे नाम पर नहीं है, बल्कि हमने पाटौदी जी की विरासत को भी जीवित रखा है, जो भारतीय क्रिकेट को प्रेरित करते रहे हैं।”
ट्रॉफी जीतने के लिए क्या चाहिए?
सचिन ने जोर देते हुए कहा कि टीम को संपूर्ण प्रदर्शन करना होगा, जिसमें बल्लेबाजी, गेंदबाजी और फील्डिंग तीनों का अच्छा होना जरूरी है। खासकर इंग्लैंड के ठंडे मौसम में कैच पकड़ना चुनौतीपूर्ण होता है, इसलिए टीम की एकाग्रता और फील्डिंग महत्वपूर्ण होगी।
क्या टीम के पास जीतने की क्षमता है?
सचिन ने टीम पर पूरा भरोसा जताया और कहा, “यह टीम योजनाबद्ध तरीके से खेलती है और मुझे पूरी उम्मीद है कि वे कुछ खास कर पाएंगे। हर टीम को बदलाव के दौर से गुजरना पड़ता है और यह प्रक्रिया हमेशा चलती रहती है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी और सम्मान है कि इस टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।”
ट्रॉफी का पहला मुकाबला 20 जून से
इंडिया-इंग्लैंड के बीच इस नई ट्रॉफी की शुरुआत 20 जून से हो रही है और सचिन तेंदुलकर की उम्मीद है कि मेडल भारत के नाम वापस आएगा।