नई दिल्ली: भारत के बेटे और ISRO के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला सफलतापूर्वक अंतरिक्ष मिशन पूरा कर धरती पर लौट आए हैं। Axiom-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) गए शुभांशु और उनके तीन साथी अंतरिक्ष यात्री मंगलवार को धरती पर सुरक्षित उतर गए।
चारों अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर SpaceX का ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट भारतीय समयानुसार दोपहर 3:01 बजे अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में सैन डिएगो तट के पास प्रशांत महासागर में स्प्लैशडाउन कर गया। स्पेसक्राफ्ट ने 4 पैराशूट की मदद से सुरक्षित लैंडिंग की।
अब एक विशेष रिकवरी टीम द्वारा कैप्सूल को समुद्र से निकाला जाएगा और एक जहाज पर रखा जाएगा, जहां अंतरिक्ष यात्रियों की प्रारंभिक चिकित्सीय जांच की जाएगी। इसके बाद वे हेलिकॉप्टर के जरिए तट पर लाए जाएंगे।
शुभांशु शुक्ला और Axiom-4 मिशन
Axiom-4 मिशन के चालक दल में शामिल थे:
- शुभांशु शुक्ला (पायलट, ISRO – भारत)
- पैगी व्हिटसन (कमांडर, पूर्व NASA अंतरिक्ष यात्री और Axiom Space की डायरेक्टर)
- स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की (मिशन स्पेशलिस्ट, पोलैंड)
- टिबोर कापू (मिशन स्पेशलिस्ट, हंगरी)
यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक रहा, क्योंकि शुभांशु शुक्ला ने निजी स्पेस मिशन में अंतरिक्ष की यात्रा कर नई मिसाल कायम की है।
कैसे हुई धरती पर वापसी
स्पेस स्टेशन से पृथ्वी तक के सफर में ड्रैगन कैप्सूल ने लगभग 22 घंटे का समय लिया। इस दौरान अंतरिक्ष यात्रियों ने पहले अपने स्पेससूट उतार दिए और डी-ऑर्बिट बर्न प्रक्रिया शुरू की गई।
डी-ऑर्बिट बर्न क्या है?
यह वह प्रक्रिया है जिसमें स्पेसक्राफ्ट की गति को कम करके उसे पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कराया जाता है। ड्रैगन के थ्रस्टर्स को 18 मिनट तक दागा गया ताकि यह कक्षा से बाहर निकलकर वायुमंडल में प्रवेश कर सके।
इसके बाद ड्रैगन कैप्सूल से उसका ट्रंक मॉड्यूल अलग हो गया और सिर्फ कैप्सूल वाला हिस्सा बचा। वायुमंडल में घुसते ही यह हिस्सा 28000 किमी/घंटा की रफ्तार से पृथ्वी की ओर बढ़ा। वायुमंडल से घर्षण के कारण तापमान 3500°F तक पहुंच गया, लेकिन अंदर का तापमान 85°F (लगभग 29°C) से अधिक नहीं हुआ – इसका श्रेय जाता है स्पेसक्राफ्ट की हीट शील्ड को।
पैराशूट और स्प्लैशडाउन
वायुमंडल पार करने के बाद ड्रैगन कैप्सूल से दो पैराशूट खुले, फिर दो और पैराशूट सक्रिय हुए, जिससे कैप्सूल की रफ्तार घटकर 24 किमी/घंटा हो गई। इसी रफ्तार से वह प्रशांत महासागर में सुरक्षित स्प्लैशडाउन कर गया।
अब रिकवरी टीम कैप्सूल को समुद्र से निकालकर जहाज पर रखेगी, जहां से अंतरिक्ष यात्रियों को बाहर निकाला जाएगा। सभी यात्रियों की प्राथमिक मेडिकल जांच वहीं होगी।
एक भारतीय की ऐतिहासिक उड़ान
शुभांशु शुक्ला ने न केवल अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत के वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिभा और परिश्रम से इतिहास रच सकते हैं। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए गर्व का क्षण है और भविष्य में निजी अंतरिक्ष उड़ानों में भारतीय भागीदारी के द्वार खोलता है।