भारत की सत्ताधारी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी (BJP), राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए संभावित बदलाव की प्रक्रिया से गुजर रही है। पार्टी में लंबे वक्त से अध्यक्ष रहे जेपी नड्डा की कार्यकाल अवधि जनवरी 2023 में समाप्त हो गई थी, लेकिन इसे चुनिंदा परिस्थियों को देखते हुए जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था। अब नए अध्यक्ष की नियुक्ति जल्द ही होने वाली है, और पहली बार किसी महिला का नाम इस दौड़ में प्रमुख रूप से सामने आया है।
महिला अध्यक्ष क्यों और क्यों अब?
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि महिलाओं की भूमिका और वोट बैंक में वृद्धि उन्हें राष्ट्रीय पार्टी अध्यक्ष पद के लिए उपयुक्त बनाती है। साथ ही, 2023 में पारित महिला आरक्षण विधेयक के मद्देनज़र भी यह कदम गर्भित प्रतीत होता है। इसके अलावा, दक्षिण और महिला वर्ग में भाजपा की पकड़ मजबूत करने का भी प्लान इसका हिस्सा है।
सबसे अधिक चर्चा में ये नाम:
- नirmala Sitharaman, वर्तमान वित्त मंत्री, जिन्होंने रक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला है। उनके पास लंबा प्रशासनिक अनुभव और दक्षिण भारतीय संबंध हैं, जो दक्षिणी राज्यों में पार्टी की स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
D Purandeswari, आंध्र प्रदेश की पूर्व भाजपा अध्यक्ष और संसद सदस्य। उनकी बहुभाषी क्षमताएं और “Operation Sindoor” की यूरोपीय देशों में प्रतिनिधित्व उनकी विशेषता है।
Vanathi Srinivasan, तमिलनाडु की विधायक और महा मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष। उन्होंने 2021 में कोयंबटूर दक्षिण से चुनाव जीतकर और पहले महिला चुनाव समिति में शामिल होकर महिला नेतृत्व की संभावनाएं दर्शाईं हैं।
चयन प्रक्रिया
नई अध्यक्ष का चुनाव ध्यानपूर्वक और लोकतांत्रिक तरीके से होगा, जिसमें सभी सांसद, विधायक, पार्टी प्रतिनिधि, कार्यालय-धारक, और जिला अध्यक्ष शामिल होंगे। राष्ट्रीय स्तर पर ये पद 2028 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव के पहले महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भाजपा द्वारा पहली महिला अध्यक्ष का चयन पार्टी के संगठनात्मक ढांचे और चुनावी रणनीति दोनों पर गहरे प्रभाव डालेगा। यह कदम न सिर्फ पार्टी को राष्ट्रव्यापी जनसमर्थन दिला सकता है, बल्कि महिला नेतृत्व और आरक्षण की दिशा में एक मजबूत संदेश भी भेजेगा।